संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से,सीकर की शिक्षिका की नेत्रदान की अंतिम इच्छा हुई पूर्ण

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Published on : 26 Dec, 25 05:12

संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से 380 किलोमीटर दूर,संपन्न हुआ शिक्षिका का नेत्रदान

संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से,सीकर की शिक्षिका की नेत्रदान की अंतिम इच्छा हुई पूर्ण

पिछले कुछ सालों से संपूर्ण राजस्थान में नेत्रदान अंगदान के प्रति लोगों की जागरूकता काफी बढ़ी है, परिवार में किसी के भी दिवंगत हो जाने के बाद अब सदस्य पहला प्रयास यही करते हैं कि किसी ने किसी तरह से दिवंगत के नेत्रदान या अंगदान हो जाए तो इससे बढ़िया पुनीत कार्य कोई और नहीं हो सकता है ।

इसी क्रम में मंगलवार मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटीजन फोरम की संस्थापिका भावना जगवानी ने कोटा में शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को सूचना की, जयपुर निवासी सुदेश तनेजा की भाभी किरण तनेजा का सीकर में देवलोक गमन हुआ है और उनकी अंतिम इच्छा थी कि,उनके नेत्रदान हो, नेत्रदान के लिए बेटे चंदन और बेटी भारती ने भी सहमति दे दी थी । 2 घंटे बाद ही उनका अंतिम संस्कार होना है ।

कम समय में कोटा से 380 किलोमीटर दूर,नेत्रदान लेने जाना संभव नहीं, ऐसे में जयपुर के आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान को 115 किलोमीटर दूर, नेत्रदान लेने के लिए कहा,तो वहां से भी संतुष्ट जनक जवाब प्राप्त नहीं हुआ, आखिर में डॉ गौड़ ने आई बैंक कोऑर्डिनेटर गणेश दास स्वामी और प्राणनाथ हॉस्पिटल,सरदारशहर के  मैनेजर शांतिलाल चौरडिया को अनुरोध किया कि, वह अपनी एंबुलेंस से ईबीएसआर के सरदारशहर चैप्टर के टेक्नीशियन भंवर लाल प्रजापत और सहयोगी दिनेश शर्मा को सीकर के लिए रवाना कर दें ।

डॉ गौड़ के अनुरोध पर शांति लाल ने,140 किलोमीटर दूर सीकर में किरण तनेजा के नेत्रदान लेने के लिए टीम रवाना कर दी । 2 घंटे में 140 किलोमीटर की दूरी तय करके टीम ने परिवार के सदस्यों के बीच नेत्रदान प्रक्रिया सम्पन्न की ।

सुदेश ने आई बैंक की टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि, सभी के संयुक्त प्रयासों से ही किरण भाभी का नेत्रदान का कार्य संभव हो पाया है,यदि यह कार्य संभव नहीं होता,तो हमारे मन में यह दुख रहता कि,हम भाभी के नेत्रदान नहीं करा पाए ।

डॉ गॉड ने बताया कि नेत्रदान के इस पुनीत कार्य में
मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटीजन फोरम,शाइन इंडिया,आई बैंक सोसायटी सरदार शहर चेप्टर,प्राणनाथ हॉस्पिटल,और तेरापंथ युवक परिषद सरदारशहर का सहयोग रहा । कोटा से  380 किलोमीटर दूर का नेत्रदान सभी के प्रयासों से संभव हो पाया ।


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