उदयपुर। उदयपुर के महाकाल मंदिर में आज खास और ऐतिहासिक दिन था। भगवान से सोमनाथ शिवलिंग का मिलन हुआ और इस खास पल के साक्षी हजारों भक्त बने। इससे पहले यहां पर निकली शोभायात्रा में माहौल को भक्तिमय बना दिया। सोमनाथ शिवलिंग भारत यात्रा आज उदयपुर पहुंची तो यहां पर भव्य स्वागत किया गया। शाम को गाजे-बाजे एवं ढोल-नगाड़ों साथ राड़ाजी चौराहा से सोमनाथ शिवलिंग के अंशों की महाकाल मन्दिर तक भव्य स्वागत यात्रा निकली जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। भगवान के जयकारा के साथ मुख्य मार्ग होते हुए जैसे ही शोभायात्रा महाकाल मंदिर पहुंची तो वहां पर ऐतिहासिक स्वागत किया गया।

आर्ट आफ लिविंग वैदिक धर्म संस्थान समन्वयक और प्रशिक्षिका प्रियंका शर्मा ने बताया कि उदयपुर में पहली बार हुए इस मिलन के साक्षी बने भक्तों ने दर्शन पाकर अपने आप को धन्य माना। जैसे ही सोमनाथ शिवलिंग के साथ महाकाल मन्दिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया और दोनों शिवलिंग और महाकाल का मिलन कराया गया। इस ऐतिहासिक पल के दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सोमनाथ एवं महाकाल के जयकारों से पूरा मन्दिर प्रांगण गूंजायमान कर दिया।

आर्ट आफ लिविंग प्रशिक्षक गिरधारी लाल गर्ग ने बताया कि सोमनाथ शिवलिंग की स्वागत यात्रा के दौरान सजी-धजी बग्घी में स्वामीजी परमानन्दजी महाराज के साथ सोमनाथ शिवलिंग को विराजमान कराया गया। स्वागत यात्रा में पुरूष श्रद्धालु श्वेत वस्त्रों में चले जबकि महिलाएं श्वेत एवं गुलाबी रंग के परिधान पहन कर साथ चली।
राड़ाजी चौराहा से महाकाल मन्दिर तक के पूरे मार्ग में श्रद्धालु भक्ति नृत्य करते चल रहे थे। स्वागत यात्रा के दौरान मार्ग से गुजरना वाला हर व्यक्ति श्रद्धा से सोमनाथ शिवलिंग के आगे नतमस्क हो गया। कई वाहन चालकों ने अपने वाहन सडक़ किनारे खड़े करके कुछ देर रूक कर सोमनाथ शिवलिंग के दर्शन किये।
आर्ट आफ लिविंग प्रशिक्षक इशविन सच्चर ने बताया कि मन्दिर में पहुंचने के बाद श्रद्धालु सोमनाथ शिवलिंग के साथ महाकाल मन्दिर के गर्भगृह में पहुंचे। वहां पर पण्डितजी द्वारा पूजा- अर्चना करवाने के पश्चात सोमनाथ शिवलिंग एवं महाकाल का महामिलन करवाया। इस अद्भुद एवं ऐतिहासिक पल को निहारते श्रद्धालुओं के नैत्र सजल हो गये और जयकारों से मन्दिर परिसर गूंज गया।
आर्ट आफ लिविंग की प्रशिक्षक रजनी जोशी ने बताया कि इस महामिलन के बाद सोमनाथ शिवलिंग को महाकाल मन्दिर परिसर के गार्डन में बने विशाल पाण्डाल में ले जाया गया। वहां पर सोमनाथ शिवलिंग को विशेष सिंघासन पर विराजमान कराया। सोमनाथ को लड्डू एवं खीर का भोग धराया गया। इस दौरान बारी-बारी से श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। दर्शनों के बाद वहां करीब एक घंटे तक बेंगलुरु से आए पंडितजी द्वारा ज्योर्तिलिंग की विधिवत रुद्र पूजा एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के बाद महारूद्राभिषेक किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पाण्डाल सोमनाथ की भक्ति में सराबोर हो गया। इसके बाद भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। सोमनाथ की पूजा-अर्र्चना, दर्शन एवं महारूद्राभिषेक के बाद श्रद्धालुओं में लड्डू एवं खीर का प्रसाद वितरित किया गया। शाम चार बजे से रात्रि 8 बजे तक चले इस भव्य एवं भक्तिमयी आयोजन में पूरा महाकाल मन्दिर परिसर भक्ति के रंग में डूबा रहा।
उल्लेखनीय है कि सोमनाथ मंदिर पर महमूद गजऩी के आक्रमण (1026 ईस्वी) के दौरान खंडित होने पर शिवलिंग के 11 अंश अग्निहोत्री ब्राह्मणों द्वारा संरक्षित कर दक्षिण भारत लाए गए। दक्षिण भारत के अग्निहोत्री ब्राह्मणों ने लगातार इन शिवलिंग के अंश का पूजन किया। सन् 1924 में अग्निहोत्री ब्राह्मण कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य के पास शिवलिंग लेकर गए तो उन्होंने कहा कि 100 साल बाद जब राममंदिर बन जाएगा तो कर्नाटक के बेंगलुरु में ‘शंकर’ नाम के संत को यह सौंप देना। वे ही इनका सही धार्मिक उपयोग करेंगे। लगभग 1000 साल बाद अग्निहोत्री परिवार की पीढ़ी ने इन अंशों को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकरजी को सौंपा। इसके बाद श्रीश्री रविशंकर ने करोड़ों हिंदुओं के दर्शन और पूजन के लिए सोमनाथ शिवलिंग भारत यात्रा शुरू की। यह यात्रा 12 राज्यों और 140 शहरों से होकर गुजर रही है।