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सनातनी चातुर्मास पर मां बगलामुखी की आराधना के 54कुंडीय महायज्ञ नवरात्रि से होगा

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10 Oct 23
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सनातनी चातुर्मास पर मां बगलामुखी की आराधना के 54कुंडीय महायज्ञ नवरात्रि से होगा

उदयपुर के बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास शहर की जनता को सनातन की गंगा में डुबो रहा है व शहर में 54 कुंडीय महायज्ञ नवरात्रि के प्रथम दिवस पर प्रारम्भ होगा यह जानकारी मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने दी।

मढ़ी मन मुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सान्निध्य में चल रहे सनातनी चातुर्मास में नवरात्रि में होने जा रहे मां बगलामुखी की आराधना के 54 कुंडीय महायज्ञ नवरात्रि पर प्रारम्भ होकर नौ दिवस तक चलेगा। जिसको लेकर आयोजन स्थल पर तैयारीयां जौरों पर चल रही है। इस सनातनी चातुर्मास के निमित्त कई अनुष्ठान हो रहे हैं। पंच पुराण कथाओं में से तीन कथाएं हो चुकी हैं। चैथी कथा देवी भागवत पुराण की होगी जो कि नवरात्रि में 15 अक्तूबर से शुरू होगी तथा 23 अक्तूबर को कथा पूर्णाहुति होगी। नवरात्रि स्थापना के दिवस 15 अक्तूबर को विश्व में पहली बार 54 कुण्डिय माँ बगलामुखी यज्ञ का शुभारंभ होगा जिसके लिये विशाल यज्ञ मंडप का निर्माण दिन-रात चल रहा है। शास्त्रोक्त विधि से निर्मित सरकंडों से निर्मित यज्ञ मण्डप की वास्तुकला अनूठी है। नित्य साधु-संतों का आवागमन भी बढ़ गया है, व साधुओं की संगत व ध्यान-ज्ञान की बातें जानने के लिए भक्तों का मेला भरने लगा है।

सनातनी चातुर्मास पर डाली जायेगीं 4 लाख 68 हजार आहुतियों। उदयपुर में पहली बार होगा सर्व सिद्धिदात्री मां बगलामुखी की आराधना का विश्व स्तरीय आयोजन जिससे उदयपुर की धरा व उदयपुरवासीयों को होगा विशेष लाभ पंहुचेगा। 15 अक्टूबर सुबह 8 बजे होगा आरंभ व 24 अक्टूबर सुबह 11 बजे होगी यझ की पूर्णाहुति । इस बार करीब 251 से अधिक जोडे इस अनुष्टान को पूर्ण करने में यझ वेदी पर बैठेगंे। निरंजनी अखाड़ा के मढ़ी मनमुकुंद दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने कहा कि नवरात्रा स्थापना के साथ ही चातुर्मास के पूर्ण होने तक देश के प्रमुख धर्माचार्यों का यहां पदार्पण होने वाला है। इनमें शंकराचार्य निश्चलानंद, पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज, निरंजनी पंचायती अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य कैलाशानंद महाराज आदि शामिल हैं। उन्होंने राजनीति और धर्माचार्यों के बीच जुड़ाव के सवाल पर कहा कि राजनीति के लिए धर्मनीति का आचरण व आश्रय आवश्यक है। यह देश सनातन संस्कृति का देश है। राजनीति कभी सनातन की उपेक्षा नहीं कर सकती।

बाबा ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि जिस मेहनत के साथ लग्न से उन्होंने इस सनातनी चर्तुमास के लिए उदयपुर को चुना था, उदयपुर की शहर की जनता उसका पूर्ण लाभ नही उठा सकी। क्योंकी सन्तों के सानिध्य का लाभ बडे भाग्य से मिलता है। मेरा प्रयास है कि नवरात्रि के अवसर पर 54 कुण्डीय सिद्विदात्री मां बगलामुखी का लाभ इस शहर की जनता पूर्ण तौर पर उठायेगी।

जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती का भी मिलेगा सान्निध्य।

उदयपुर के बलीचा स्थित बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास में सर्व सिद्धिदात्री मां बगलामुखी की आराधना 15 अक्टूबर से शुरू होगी। नवरात्रा स्थापना के साथ ही 15 अक्टूबर सुबह 8 बजे मां बगलामुखी का महायज्ञ शुरू होगा जो 24 अक्टूबर सुबह 11 बजे पूर्ण होगा। यह महायज्ञ हवन करने वाले श्रद्धालुओं की सुख-समृद्धि के साथ भारतवर्ष की समृद्धि, एकता, अखण्डता, सामाजिक समरसता, देश की सीमाओं की रक्षा, विश्व में सर्वोच्च स्थान की कामना से किया जा रहा है। इस महायज्ञ में काशी सुमेरू पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती का सान्निध्य रहेगा।


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