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नई शिक्षा नीति के तहत स्थानीय ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासतों को मिला प्रमुखता से स्थान

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19 Sep 25
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उदयपुर,  राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, उदयपुर की ओर से राज्य में पाठयक्रम एवं पाठ्यपुस्तकों के निर्माण एवं शैक्षणिक अनुसंधान के तहत हाल ही राज्य सरकार के निर्देशानुसार संपूर्ण राज्य में कक्षा प्रथम से 5वीं तक की समस्त पुस्तकों में नई शिक्षा नीति एवं राज्य पाठ्यचर्या के आलोक में पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है। परिषद् द्वारा संपूर्ण राज्य के विविध क्षेत्रों की भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया गया है।

परिषद ने बताया कि यह भ्रामक जानकारी प्रकाशित और प्रसारित की जा रही है कि नवीन पाठ्यपुस्तकों में आदिवासी अंचल के इतिहास को उपेक्षित किया गया है। इस संदर्भ में तथ्य यह है कि आरएससीईआरटी द्वारा एनईपी 2020, एनसीएफ 2023 एवं एससीएफ 2023 के अनुरूप नए पाठ्यक्रम के निर्माण में स्थानीयता को ध्यान में रखते हुए पुस्तके तैयार की गई हैं। जहां कक्षा 4 की अंग्रेजी की नई पुस्तक में मानगढ़ धाम नहीं है वहीं कक्षा 5 की पर्यावरण अध्ययन की नई पुस्तक हमारा परिवेश में अध्याय 15 हमारे प्रेरक में बलिदान की गाथा मानगढ़ धूणी (मानगढ़ पहाड़ी) में मानगढ़ धाम एवं गुरू गोविन्द दोनों के योगदान को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है।

इसी प्रकार वीरबाला कालीबाई की कहानी जहां कक्षा 5 की अंग्रेजी की नई पुस्तक में नहीं है। वहीं कक्षा 7 की हमारा राजस्थान पुस्तक में आदिवासी वागड के गांधी भोगीलाल पण्डया, नानाभाई खाट सेंगाभाई और कालीबाई की जानकारी को शामिल किया गया है। इसके अलावा ग्रेडेड स्टोरी कार्डस जो कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढाए जाएंगे उसमें भी कालीबाई की कहानी को शामिल किया गया है।

आदिवासी इतिहास व संस्कृति को जोडा
परिषद की ओर से जारी जानकारी के अनुसार कक्षा 3 हिंदी पाठ्यपुस्तक में अध्याय 14 मातृकुंडिया की यात्रा में मातृकुंडिया मेवाड़ का हरिद्वार, बनास नदी, मंगलेश्वर महादेव एवं घूमर को शामिल किया गया है। कक्षा 4 हिंदी पाठ्यपुस्तक में अध्याय 14 राजस्थान के गौरव में महाराणा कुंभा को शामिल किया गया है। अध्याय 13 धरती राजस्थान की में विभिन्न त्योहारों, नृत्यों को कविता में शामिल किया गया है। इसमें गवरी भी शामिल हैं। कक्षा 4 पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 15 महाराणा प्रताप स्वाधीनता एवं स्वाभीमान का प्रतीक में महाराणा प्रताप, राणा पुंजा एवं दानवीर भामाशाह को शामिल किया गया है। कक्षा 5 पर्यावरण अध्ययन पुस्तक हमारा परिवेश के अध्याय 1 में बांसवाड़ा क्षेत्र से संबंधित बासोड़ा की थाली को शामिल किया गया है। अध्याय 15 हमारे प्रेरक में बलिदान की गाथा मानगढ़ धूणी (मानगढ़ पहाड़ी) को शामिल किया गया। कक्षा 6 हमारा राजस्थान के अध्याय 10 लोक संस्कृति एवं कला में जनजातिय क्षेत्र के प्रमुख मेले बेणेश्वर मेले का विवरण है। कक्षा 7 की पुस्तक हमारा राजस्थान के अध्याय 7 में आजादी का आंदोलन और राजस्थान में जन-जाति आंदोलन के अन्तर्गत भील आंदोलन, मीणा जन-जाति आंदोलन को शामिल किया गया है। प्रमुख जननायक गोविन्द गुरू को शामिल किया गया है।

वागड़ी और गरासिया भाषाओं में लोक कथाएं व गीत भी शामिल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पूर्व प्राथमिक शिक्षा एवं प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा में निर्गत करने हेतु प्रोत्साहित करती है। राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों एवं स्थानीय भाषाओं में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु आरएससीईआरटी द्वारा इन भाषाओं हेतु शब्दकोष बनाए हैं। आदिवासी अंचल की भौगोलिक एवं भाषाई विविधता को ध्यान में रखते हुए सिरोही और डूंगरपुर के दो ब्लॉक में स्थानीय वागड़ी और गरासिया भाषाओं में 100-100 विद्यालयों में स्थानीय भाषाओं की सहभागिता को प्रकाशित करते हुए पुस्तकों में स्थानीय लोक कथाएं, गीत, भाषाएं शामिल किए गए है, जो आदिवासी अंचल में भाषा के प्रमुख स्वरूप को सहेजती है। आदिवासी अंचल में आरएससीईआरटी द्वारा किए गए उपरोक्त प्रयास यहां की स्थानीय भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने का प्रयास है एवं यह स्थानीय भाषा और राज भाषा के बीच में सेतु का काम करते हुए बच्चों की शिक्षा को और रूचिकर एवं सुलभ पठन हेतु सहायक होगा।


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