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कृष्ण जन्माष्टमी तैयारियों पर समीक्षा बैठक सम्पन्न

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14 Aug 25
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कृष्ण जन्माष्टमी तैयारियों पर समीक्षा बैठक सम्पन्न

बांसवाड़ा। सुभाष नगर प्रोफेसर कॉलोनी स्थित इस्कॉन केन्द्र बांसवाड़ा में सत्संग संकीर्तन भजन ओर विविध धार्मिक अनुष्ठान के बीच भगवान् योगेश्वर श्री कृष्ण के जन्मदिवस को गांधी मूर्ति स्थित पृथ्वी क्लब सभागार में धूमधाम और समारोह पूर्वक मनाने हेतु 

विभिन्न समितियों की समीक्षा बैठक अभिनंदन निमाई प्रभु और अभय गौरांग दास प्रभु के मार्गदर्शन में और विश्व आत्मा दास प्रभु के नेत्तृत्व में सम्पन्न हुई।

साधिका रचना व्यास ने बताया कि कृष्ण भावनामृत भक्ति युक्त उनके जीवन चरित्र लीलाओं पर आधारित भजन सत्संग संकीर्तन के बीच साधक साधिकाओं श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न सुगन्धित द्रव्यों अबीर गुलाल इत्र चन्दन सहित विशिष्ठ मंत्रों से विशेष अभिषेक अनुष्ठान सम्पन्न किए जाएंगे।

 

*भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख सीख संकल्प से सिद्धि संभव*

 

समीक्षा बैठक में अभिनंदन निमाई प्रभु और अभय गौरांग दास प्रभु ने बताया कि जीवन में कुछ श्रेष्ठ पाने की ठान लें तो बड़ी से बड़ी बाधाएं भी आपसे परास्त होकर चली जायेंगी ये भी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख सीखों में एक है।

 

 कारागार में जन्म लेने वाले कृष्ण यूँ ही द्वारिकाधीश नहीं बन जाते, उसके लिए पूतना, तृणावर्त, अघासुर, बकासुर, व्योमासुर, चारूण, मुष्टिक और कंस जैसी जीवन की तमाम प्रतिकूलताओं, विघ्न-बाधाओं और बवंडरों का सदैव डटकर सामना भी करना होता है।

 

जन्म भले कितनी ही प्रतिकूलताओं में हुआ हो लेकिन सतत प्रयास और निरंतर कुछ श्रेष्ठ करने की चाह आपको सम्राट की पदवी पर आसीन कर देती है।

 

उन्होंने कहा कि आपका लक्ष्य श्रेष्ठ है तो आपके प्रयास भी अतिश्रेष्ठ होने चाहिए। दृढ़ इच्छाशक्ति, उच्च आत्मबल और समर्पित भाव से अपने लक्ष्य की ओर निरंतर गति ही कारागार में जन्में उन श्रीकृष्ण की तरह हमें भी जीवन की तमाम समस्याओं से उभर कर द्वारिका धीश बनने की प्रेरणा प्रदान करती है।

 

इस अवसर पर बैठक में 

चंद्रकांता माताजी, अर्चना, अनिता, भारती, चैतन्य ,नीरज पाठक, हिमानी पाठक अर्शी भट्ट मानस पंड्या, ओड्रिला, शिल्पा निमेष, शाबुनी,दीपिका, विभा, कृपाली भट्ट ,कुशल ,डिम्पल,

सुरेश, नैमिष, निखिल, सुनील, अजय, रौनक, रतन, किशोर पंड्या,अरुण, अचिंत्य दृष्टि प्रभु,को विभिन्न कार्यों का दायित्व दिया गया।

 

संचालन विश्व आत्मा दास प्रभु ने किया ओर आभार प्रदर्शन सुरेश प्रभु जी ने दिया।


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