(देश की विख्यात बाल साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी से साक्षात्कार, प्रस्तुतकर्ता: डॉ. प्रभात कुमार सिंघल)
1994 में सलूंबर से आरंभ हुई एक छोटी-सी साहित्यिक पहल ने किस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के साहित्य को नई दिशा और मंच प्रदान किया? किस प्रकार सलिला संस्था ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की बाल प्रतिभाओं को सृजनात्मक अभिव्यक्ति दी? भारत की प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी से इस विशेष बातचीत में जानिए, कैसे यह संस्था नवाचार, समर्पण और साहित्यिक आयोजनों के माध्यम से आज एक राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप ले चुकी है।
प्रश्न 1: सलिला संस्था की स्थापना कब और कैसे हुई?
उत्तर: सलिला संस्था की स्थापना 4 सितंबर 1994 को सलूंबर, राजस्थान में की गई। यह शुरुआत स्थानीय साहित्यिक रुचि रखने वालों के लिए एक वैचारिक मंच के रूप में हुई थी। आज यह संस्था बाल साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रही है।
प्रश्न 2: राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर: वर्ष 2010 में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के सहयोग से प्रथम राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन आयोजित किया गया। यह सम्मेलन बाल साहित्य को गांव-ढाणी के अंतिम बालक तक पहुंचाने का माध्यम बना। तब से हर वर्ष ऐसे सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं, जिनमें साहित्य को सामाजिक सरोकारों से जोड़ा जाता है।
प्रश्न 3: इन सम्मेलनों की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: हर सम्मेलन की शुरुआत बाल प्रस्तुतियों से होती है। बच्चों द्वारा काव्य पाठ, नाटक, समीक्षा, मंच संचालन जैसे कार्यक्रम होते हैं। साथ ही बालकों द्वारा पुस्तकों का लोकार्पण और समीक्षा सत्र भी आयोजित होते हैं। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और रचनात्मकता बढ़ती है।
प्रश्न 4: क्या इन सम्मेलनों में शोधपत्र भी प्रस्तुत किए जाते हैं?
उत्तर: हाँ, इन सम्मेलनों में देशभर के बाल साहित्यकार विविध समसामयिक विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत करते हैं। जैसे – इक्कीसवीं सदी का बाल साहित्य, जनजातीय अंचल का बचपन, बाल आत्मकथाएं, बाल नाटक, बाल जीवनी आदि। अब तक 50 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
प्रश्न 5: सलिला संस्था की स्मारिका ‘सलिल प्रवाह’ की क्या भूमिका रही है?
उत्तर: ‘सलिल प्रवाह’ ने विशेषांक के रूप में राजस्थान के बाल साहित्य को केंद्र में रखकर रचनाकारों को पहचान दिलाई। सुधा जौहरी, मुरलीधर वैष्णव, डॉ. संजीव कुमार आदि जैसे प्रतिष्ठित रचनाकारों पर केंद्रित अंक प्रकाशित हुए हैं।
प्रश्न 6: सलिला संस्था द्वारा कौन-कौन सी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं?
उत्तर: बाल कहानी, यात्रा-वृत्तांत, पत्र लेखन, एकांकी, आत्मकथा, जीवनी, बाल गीत जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। विजेता रचनाओं को पुस्तक रूप में प्रकाशित कर उनके लोकार्पण और समीक्षा की जाती है।
प्रश्न 7: ग्रामीण और आदिवासी बच्चों के लिए क्या प्रयास हुए हैं?
उत्तर: संस्था द्वारा पांच दिवसीय लेखन कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जहां बच्चों को कविता, कहानी, निबंध, नाटक लेखन, दीवार अखबार, मंच संचालन सिखाया गया। पहली कार्यशाला सितंबर 2011 में लव कुश विद्यालय में आयोजित की गई थी।
प्रश्न 8: बाल पुस्तकों के लोकार्पण में बच्चों की भूमिका क्या रही है?
उत्तर: 24 सितंबर 2010 को पहली बार बच्चों द्वारा बाल पुस्तकों का लोकार्पण और समीक्षा की गई। बच्चों ने पुस्तकों पर अपने विचार व्यक्त किए और लेखकों व शिक्षकों से संवाद किया।
प्रश्न 9: संस्था की अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
150 से अधिक बाल पुस्तकों का विमोचन।
100 से अधिक बाल साहित्यकारों को पुरस्कार प्रदान (₹2 लाख से अधिक)।
1000 से अधिक बच्चों को प्रोत्साहन पुरस्कार।
बाल साहित्य प्रदर्शनी, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, फिल्म स्क्रीनिंग, करियर गाइडेंस सत्र।
ऑनलाइन बाल साहित्य लेखन कार्यशालाएं, जिनमें देशभर के साहित्यकार शामिल होते हैं।
प्रश्न 10: क्या सलिला संस्था के प्रयासों का कोई बड़ा असर पड़ा है?
उत्तर: हाँ, इन प्रयासों से राजस्थान में बाल साहित्य को नई गति मिली। जयपुर समेत कई जिलों में बाल साहित्य आयोजन बढ़े। 2019 में राजस्थान सरकार ने ‘बाल साहित्य अकादमी’ की स्थापना की, जो देश की पहली अकादमी बनी।
सलूंबर से आरंभ हुई सलिला संस्था ने ग्रामीण परिवेश से लेकर राष्ट्रीय फलक तक बाल साहित्य को एक नई दृष्टि और मंच दिया है। डॉ. विमला भंडारी के नेतृत्व में यह संस्था न केवल बालकों की प्रतिभा को उभार रही है, बल्कि साहित्य को उनके सर्वांगीण विकास का माध्यम बना रही है।