उदयपुर , झीलों में सिवरेज प्रवाह तथा कचरे के विसर्जन पर झील प्रेमियों ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।
झील संरक्षण समिति से जुड़े विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता में कहा कि पेयजल प्रदान करने वाली झीलें एक संवेदन शील इको सिस्टम है । जन स्वास्थ्य , पर्यावरण स्वास्थ्य तथा पर्यटन व्यवसाय झीलों पर ही आधारित है । लेकिन, अपर्याप्त निगरानी, अनियमित संधारण तथा अधूरी साफ सफाई से सीवर लाइने चोक हो रही है तथा मेनहोल ओवरफ्लो से सीवर झीलों में जा रहा है।

मेहता ने अपना सुझाव दोहराया कि झील क्षेत्र के अलग अलग जोन के लिए पृथक पृथक सिवरेज संधारण व स्वच्छता दल होने चाहिए। निगम स्तर पर झील सीवरेज प्रणाली के लिए पृथक सीवरेज प्रकोष्ठ होना चाहिए। सेंसर आधारित कंट्रोल सिस्टम का उपयोग करके सीवरेज पाइपलाइनों में प्रवाह, मेनहोल में जल स्तर, हानिकारक गैसों की उपस्थिति, लीकेज और ब्लॉकेज की रीयल टाइम जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इससे निगरानी और सुधार कार्य बेहतर तरीके से हो सकते हैं।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए झील किनारों और आसपास की नियमित सफाई सुनिश्चित करना जरूरी है। पालीवाल ने कहा कि सिवरेज व कचरे से झील जल और आसपास के भूजल की गुणवत्ता बुरी तरह खराब हो रही है। अधिकारियों को ध्यान दिलाने पर भी वे ठोस समाधान नहीं दे पा रहे हैं। यह चिंता जनक है।
युवा पर्यावरणविद कुशल रावल ने सुझाव दिया कि निगम को सीवरेज प्रणाली की देखरेख में स्थानीय युवाओं को जोड़ना चाहिए। झीलों की स्वच्छता तथा सिवरेज प्रणाली संधारण से संबंधित निगम में एक झील स्वच्छता हेल्पलाइन होनी चाहिए ताकि आम नागरिक झील स्थिति की जानकारी तुरंत निगम को पंहुचा सके।
समाजसेवी नंद किशोर शर्मा ने अफसोस जताया कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड तथा नगर निगम झील स्वच्छता पर गंभीर नहीं है। जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
वरिष्ठ नागरिक होशियार लाल ने झील क्षेत्र के निवासियों से आग्रह किया कि वे झील स्वच्छता मुहिम में प्रमुख भूमिका निभाए।
इस अवसर पर कचरा पात्र बन चुके चांदपोल समीप के अमरकुंड कोने पर श्रमदान कर कचरे व गंदगी को हटाया।