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वंचित और कमज़ोर लोगों के लिए नहीं रह गया है मीडिया : प्रो. अरुण चतुर्वेदी

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29 Jun 25
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वंचित और कमज़ोर लोगों के लिए नहीं रह गया है मीडिया : प्रो. अरुण चतुर्वेदी

 

उदयपुर। “आज का मीडिया सत्ता के करीब है और ताक़तवर लोगों की भाषा बोलता है। जो लोग हाशिए पर हैं, जिनके लिए मीडिया को संघर्ष करना चाहिए, उनके लिए मीडिया अब केवल कृत्रिम साँसों पर जीवित है। सत्ता के प्रचारक बने मुख्यधारा के मीडिया को कोई खतरा नहीं है; वे मुनाफे के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। लेकिन जो वैकल्पिक मीडिया है, जो सच्चाई की बात करता है, वह कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।” यह विचार मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कला संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने महावीर समता सन्देश के 34वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।

 


उन्होंने कहा कि केवल वैकल्पिक मीडिया को मज़बूत करके ही लोकतंत्र की रक्षा संभव है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पंजाब केसरी के स्थानीय संपादक सुभाष शर्मा ने कहा कि स्थानीय पत्रकारिता कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होती है और इसमें साहस की विशेष आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष पत्रकारिता अब कठिन होती जा रही है, लेकिन ऐसे साहसी पत्रकारों की कमी नहीं है जो सत्य के पक्ष में खड़े रहते हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया, जागरण, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी जैसे राष्ट्रीय समाचार पत्रों में काम करने के अपने अनुभवों के आधार पर उन्होंने बताया कि समाचार जगत में व्यावसायिकता और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ की होड़ ने पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित किया है।

एक अन्य विशिष्ट अतिथि, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. विमल शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता में उन युवाओं की आवश्यकता है जो इसके मूल्यों और आदर्शों के साथ काम कर सकें। उन्होंने महावीर समता सन्देश की संघर्षशील यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह पत्रिका कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों से कभी नहीं डिगी।

उर्दू लेखिका व उपन्यासकार डॉ. सरवत ख़ान ने कहा कि जनता के सवाल उठाना, आंदोलनों में भाग लेना और सत्ता से सवाल करना महावीर समता सन्देश की पहचान रही है।

बोहरा यूथ सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्राचार्य डॉ. ज़ोहरा ख़ान ने कहा कि आम लोगों की पीड़ा को शब्द देना ही सच्ची पत्रकारिता है। उन्होंने अपने विद्यालय में कला संकाय खोलने की माँग का ज़िक्र किया, जिसे अभी तक अनुमति नहीं मिली है जबकि छात्रों की ओर से स्पष्ट मांग है।

वरिष्ठ कवि रामदयाल महरा और वरिष्ठ पत्रकार संपत बापना ने अपनी कविताओं के माध्यम से पत्रकारिता और समाज की स्थितियों को उजागर किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बोहरा यूथ सेंट्रल समिति के अध्यक्ष कमांडर मंसूर अली ने वर्तमान सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार निष्पक्ष पत्रकारिता के विरोध में कार्य कर रही है। अंतरराष्ट्रीय मामलों में इसकी विफलता स्पष्ट है और देश के अल्पसंख्यकों के प्रति यह सरकार भेदभाव और दमन की नीति अपना रही है। सच्चाई लिखने वाले पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा है। लेकिन यह स्थिति अधिक दिन तक नहीं चल सकेगी।

कार्यक्रम की शुरुआत में महावीर समता सन्देश के प्रधान संपादक हिम्मत सेठ ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए पत्रिका की पत्रकारिता यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि महावीर समता सन्देश का यूट्यूब चैनल भी प्रारंभ हो चुका है, जिस पर अब तक 500 से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं।

कार्यक्रम का संचालन महावीर समता सन्देश के संपादक और माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. भारत सिंह राव ने प्रस्तुत किया।


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