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दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर कवच 4.0 का संचालन शुरू

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31 Jul 25
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दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर कवच 4.0 का संचालन शुरू

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने उच्च-घनत्व वाले दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर स्वदेशी रेलवे सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 का संचालन शुरू कर दिया है। यह देश में रेलवे सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ विजन से प्रेरणा लेते हु, रेलवे ने कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली का स्वदेश में ही डिज़ाइन, विकास और निर्माण किया है। कवच 4.0 एक प्रौद्योगिकी-प्रधान प्रणाली है। इसे अनुसंधान डिज़ाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा जुलाई 2024 में अनुमोदित किया गया था। कई विकसित देशों को ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित करने और स्थापित करने में 20-30 साल लग गए। कोटा-मथुरा खंड पर कवच 4.0 का निर्माण बहुत ही कम समय में पूरा किया गया है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज़ादी के बाद पिछले 60 वर्षों में देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की उन्नत रेल सुरक्षा प्रणालियाँ स्थापित नहीं की गई थीं। रेल और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, कवच प्रणाली हाल ही में चालू की गई है।
भारतीय रेल छह वर्षों की छोटी सी अवधि में देश भर के विभिन्न मार्गों पर कवच 4.0 को लागू करने की तैयारी कर रही है। कवच प्रणालियों पर 30,000 से अधिक लोगों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। आईआरआईएसईटी (भारतीय रेल सिग्नल इंजीनियरिंग एवं दूरसंचार संस्थान) ने कवच को अपने बी.टेक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए 17 एआईसीटीई-अनुमोदित इंजीनियरिंग कॉलेजों, संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। कवच प्रभावी ब्रेक लगाकर लोको पायलटों को ट्रेन की गति बनाए रखने में मदद करेगा। कोहरे जैसी कम दृश्यता की स्थिति में भीए लोको पायलटों को सिग्नल के लिए केबिन से बाहर देखने की ज़रूरत नहीं होगी। पायलट केबिन के अंदर लगे डैशबोर्ड पर जानकारी देख सकते हैं।
कवच क्या है
उन्होंने बताया कि कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, इसे ट्रेन की गति की निगरानी और नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (ैप्स् 4) पर डिज़ाइन किया गया है, यह सुरक्षा डिज़ाइन का उच्चतम स्तर है तथा कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ। इसी प्रकार इस प्रणाली का तीन वर्षों से अधिक समय तक व्यापक परीक्षण किया गया। तकनीकी सुधारों के बाद, इस प्रणाली को दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) में स्थापित किया गया। पहला परिचालन प्रमाणपत्र 2018 में प्रदान किया गया। एससीआर  में प्राप्त अनुभवों के आधार पर, एक उन्नत संस्करण ‘‘कवच 4.0’’ विकसित किया गया। इसे मई 2025 में 160 किमी प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया तथा  कवच के पुर्जे स्वदेश में ही निर्मित किए जा रहे हैं।
कवच की जटिलता
कवच एक अत्यंत जटिल प्रणाली है। कवच का चालू होना एक दूरसंचार कंपनी स्थापित करने के बराबर है। उप-प्रणालियाँ तहत आरएफआईडी टैग, ट्रैक की पूरी लंबाई में हर 1 किमी पर लगाए जाते हैं, हर सिग्नल पर भी टैग लगाए जाते हैं। ये आरएफआईडी टैग ट्रेनों की सटीक स्थिति बताते हैं। दूरसंचार टावर के तहत ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सहित पूर्ण दूरसंचार टावर, ट्रैक की पूरी लंबाई में हर कुछ किलोमीटर पर लगाए जाते हैं। लोको पर स्थापित कवच प्रणालियाँ और स्टेशनों पर कवच नियंत्रक इन टावरों का उपयोग करके लगातार संचार करते रहते हैं। यह एक दूरसंचार ऑपरेटर की तरह एक संपूर्ण नेटवर्क स्थापित करने के बराबर है। लोको कवच, यह पटरियों पर लगे आरएफआईडी टैग से जुड़कर दूरसंचार टावरों तक सूचना पहुँचाता है और स्टेशन कवच से रेडियो सूचना प्राप्त करता है। लोको कवच को इंजनों की ब्रेकिंग प्रणाली के साथ भी एकीकृत किया गया है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि आपातकालीन स्थिति में ब्रेक लगाए जाएँ। स्टेशन कवच, प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्थापित। यह लोको कवच और सिग्नलिंग प्रणाली से सूचना प्राप्त करता है और लोको कवच को सुरक्षित गति के लिए मार्गदर्शन करता है। ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) उच्च गति डेटा संचार के लिए पटरियों के साथ ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जाता है जो इन सभी प्रणालियों को जोड़ता है तथा सिग्नलिंग प्रणाली, सिग्नलिंग प्रणाली को लोको कवच, स्टेशन कवच, दूरसंचार टावरों आदि के साथ एकीकृत किया जाता है। इन प्रणालियों को यात्री और मालगाड़ियों की भारी आवाजाही सहित रेलवे संचालन को बाधित किए बिना स्थापित, जाँचा और प्रमाणित किया जाना आवश्यक है।
कवच प्रगति
उन्होंने बबताया कि 5, 856 किमी. ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया, 619 दूरसंचार टावर स्थापित किए, 708 कवच स्टेशनों पर स्थापित किए, 1,107 कवच इंजनों पर स्थापित किए तथा 4,001 आरकेएम ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित किए गए। .
भारतीय रेलवे सुरक्षा संबंधी गतिविधियों पर प्रति वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया जाता है। कवच, यात्रियों और ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए शुरू की गई कई पहलों में से एक है। कवच की प्रगति और इसकी तैनाती की गतिए रेलवे सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


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