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शिक्षा मंत्री मदन दिलावर जी इस पर जरूर ध्यान दे,यह भी जरूरी है-अख्तर खान अकेला

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14 Jul 25
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के डी अब्बासी 

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर जी इस पर जरूर ध्यान दे,यह भी जरूरी है-अख्तर खान अकेला

कोटाराजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री ,, मदन दिलावर , अगर बारां क्षेत्र ,, कोटा क्षेत्र के ख्यातनाम लोगों की तरफ अपनी जानकारी रखते ,  उन्हें उनकी क़ाबलियत के अनुरूप उनका हक देने वाले होते तो , कोटा सम्भाग के ख्यातनाम डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल सहित कई   हस्तियों को नवाज़ते,  कोटा में खासकर ,स्कूली बच्चों में जहां आज निराशा का माहौल है , जहां बच्चों में इंटरनेट की बीमारी , मोबाइल की लत , गलत शोक लगे हैं , ऐसे में स्कूली बच्चों में , साहित्यिक शोक जगाने , उनके बाल मन को , शालीन , व्यवस्थित , विकासशील सोच की तरफ उन्हें जाग्रत करने का काम  , विख्यात लेखक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने जो शुरू किया है ,, तो मदन दिलावर शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल को  उनके इस अभूतपूर्व कार्य के लिये ,वराज्यस्तर पर पुरस्कृत भी करवाते , और खुद भी अपने विभाग में ऐसे  बच्चों में खराब आदतें छुड़वाकर कैसे पढ़ाई और तरक़्क़ी के रास्ते पर उन्हें लाया जाए इसके लिए पाठ्यक्रम स्तर पर , या विशेष कार्यक्रम योजनाओं में,  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के अनुभवों की मदद भी लेते , लेकिन ऐसा हुआ नहीं है , ,विख्यात लेखक डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल बारां और कोटा की धरोहर है , मदन दिलावर बारां से अटरू , फिर कोटा से  रामगंजमंडी विधायक रहकर मंत्री भी रहे हैं , जनसम्पर्क कार्यक्रमों में डॉक्टर सिंघल की प्रतिभा के बारे में उनका पूर्व परिचय है , एक ही विचारधारा के भी हैं ,, इधर डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने कोचिंग सिटी कोटा में जब , स्कूली बच्चों , कोचिंग के बच्चों में , पढ़ाई के वक़्त निराशा का माहौल , आत्महत्या की तरफ उनका उकसावा ,, आपराधिक प्रवृत्ति की तरफ उनकी संगत ,, वर्तमान इंटरनेट युग में इंटरनेट का दुरूपयोग करते हुए , मोबाइल गेम वगेरा के ज़रिये आपराधिक प्रवृत्ति की तरफ , ऑनलाइन जुएं ,, सट्टे की तरफ उनके रूहझान को बदलने  बच्चों में , खासकर सरकारी स्कूली बच्चों में साहित्यिक प्रतिस्पर्धा  का माहौल बनाया ,,  स्कूली बच्चों में अलग अलग प्रतियोगितायें , करवाईं , सैकड़ों स्कूलों के बच्चों को प्रतिभागी बनाया , उसमें उनकी बेहतरी के लिये ,  निष्पक्ष और स्वस्थ जज परम्परा को निभाते हुए , , प्रतिभागी बच्चों में से  उन्हें उत्साहवर्धित करने के लिए व्यवस्थित कार्य्रकम आयोजित कर पुरस्कार कार्य्रकम चलाये , शिक्षक , शिक्षिकाओं में भी इस तरह के कार्यक्रम स्कूलों में आयोजित करने के  उत्साहवर्धन प्रयास शुरू किये , ,क़रीब दो वर्षों से डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , त्योहारों , महापुरुषों के जन्म दिनों सहित अलग अलग समय में हुई , बाल  प्रतिभाओं में लेखन कार्य का , चित्रकला कलाकारी का शोक पैदा किया और फिर संख्या बढ़ती गई , आज सैकड़ों बच्चे बाल साहित्यकार , रचनाकार , चित्रकला कलाकार के रूप में डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के इस कार्यक्रम से जुड़कर , कार्य कर रहे हैं , ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने  भागम भाग के इस माहौल में , जो नई व्यवस्था  इन्  बाल साहित्यिक मामलों में बनाई है , और बाल मन तक पुस्तक का जो इन्होने प्रकाशन किया है , उस पुस्तक के लेखन के लिये,  इनकी  बाल साहित्यिक जाग्रति गतिविधियों पर डॉक्टर सिंघल को , राष्ट्रिय सलिला साहित्य रत्न सम्मान के लिए चयनित किया गया है , जो उन्हें 24 अगस्त को अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित उदयपुर के समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा ,,,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल यूँ तो जाना पहचाना नाम है , वोह बच्चों में साहित्यिक शोक जाग्रत करने के लिए जागृति का काम कर रहे हैं , और बच्चे भी इनके इस कार्यक्रम में जुड़कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं , सैकड़ों बच्चे अभी तक  लाभान्वित हो चुके है , और कई दर्जन बच्चों की प्रतिभा बताती है , के वोह भविष्य के समाज सुधार व्यवस्था के लिए बेहतर साहित्यकार बनेंगे , राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री कोटा के ही हैं , मदन दिलावर शिक्षामंत्री डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , उनकी कार्यशैली , बिना किसी प्रतिफल के समाज सुधार क्षेत्र में लेखन व्यवस्था से सुधारात्मक काम करने , प्रचार प्रसार करने की उनकी शैली समाज के हित  में है , उनकी इस कार्यशैली से स्कूली शिक्षा में प्राइमरी और मिडिल , सेकेंडरी , हायर सेकेंडरी स्तर पर इस तरह के विशेष अभियान से बच्चों को जोड़कर ,, साहित्यिक क्षेत्र में भी प्रतिभावान बनाया जा सकता है ,क्योंकि बच्चों की इस बदलते माहौल में इंटरनेट सहित अलग अलग व्यवस्थाओं के ज़रिये बिगाड़ने के कुत्सित प्रयास चल रहे हैं , और ऐसे में , बाल मन को , साहित्यिक दवा की ज़रूरत है , जो बच्चों को विकासवादी , राष्ट्रवादी सोच से जोड़कर बिगड़े हालातों में भी बिना किसी निराशा के ,, जीते तो भी बालमन , हारे तो भी बालमन ,, एक बार  हारे तो क्या फिर अगली बार जीतेंगे ऐसी एक सोच,, एक नई उम्मीद , एक नई दिशा दी जा सकती है ,


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