गुरुओं को नमन
ज्ञान के सागर के नाविक आप,
मार्ग दिखाते हर कठिन पथ पर,
मत्स्य विज्ञान की गहराइयों से,
मोती चुन लाते सरल शब्दों पर।
आपकी शिक्षा जलधार समान,
सिंचित करती मन की धरती,
अनुभव की धारा से भरते,
छात्रों की नाव सदा ही वरती।
तालाब, नदी, और सागर की,
गहराई का जब आपने ज्ञान दिया,
तो जीवन का हर एक अध्याय,
एक नई दिशा में प्रस्थान किया।
गुरु हैं आप, प्रकाशपुंज,
अंधकार में दीप जलाने वाले,
मत्स्य जगत में अनुसंधान कर,
नव भविष्य को सँवारने वाले।
आपका आशीष, आपका स्नेह,
हमें ऊँचाइयों तक ले जाएगा,
गुरु-ऋण का प्रतिदान न हो सके,
बस जीवनभर नमन रह जाएगा।