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उदयपुर। नाम वरदा मेघवाल। उम्र 85 साल। निवास शहर से केवल 10 किलोमीटर दूर गांव बेडवास। लेकिन आजादी के इतने सालों बाद भी इस बुजुर्ग को बिजली नसीब नहीं हो पाई। गांव बेडवास में राहडा फाउंडेशन ने हैल्थ कैंप लगाया जहां इस बुजुर्ग ने अपने स्वास्थ्य से ज्यादा बिजली की जरुरत बताई। कहा कि अब दिखना कम हो गया है इसलिए बिजली की जरुरत है। बुजुर्ग की पीडा को फाउंडेशन की संस्थापक अर्चना सिंह चारण ने समझा और टीम के साथ उनके निवास तक पहुंची। वहां बुजुर्ग का कच्चा घर भी जर्जर था। आखिर तीन महीने की अथक मेहनत के बाद फाउंडेशन ने बुजुर्ग का घर न केवल बिजली से रोशन किया, बल्कि उनका घर भी कच्चे से पक्का करवा दिया।
राहडा फाउंडेशन की संस्थापक अर्चना सिंह ने बताया कि बुजुर्ग की यह कहानी करीब 3 महीने सामने आई थी जब बेडवास में फाउंडेशन की ओर से हैल्थ लगवाया गया था। 85 वर्षीय वरदा मेघवाल भी अपने इलाज के लिए वहां आए। उन्होंने कहा कि आंखों से कम दिखता है इसलिए घर में बिजली चाहिए। डाक्टर उनकी मांग पर हैरत में पड गए। उन्होंने फाउंडेशन की संस्थापक अर्चनासिंह को यह बात बताई।
बुजुर्ग ने भी अर्चना सिंह चारण से अत्यंत सहजता से कहा, मेरे घर में बिजली नहीं है, क्या आप मेरी मदद करेंगी? उनकी आंखों में वर्षों की उपेक्षा और असहायता झलक रही थी।
अर्चना ने बुजुर्ग को आश्वासन दिया कि वे उनके घर को बिजली से रोशन करेंगी। कैंप खत्म होने के बाद अर्चना अपनी टीम के साथ बुजुर्ग को स्कूटर पर बिठाकर उनके घर पहुंची। वहां जाकर पता चला कि बुजुर्ग अकेले हैं और कोई सहारा नहीं है। सालों से बिना बिजली के कच्चे घर में निवास कर रहे हैं। घर की जर्जर स्थिति, मूलभूत सुविधाओं की अनुपस्थिति और विषम परिस्थितियों को देखकर यह निर्णय लिया गया कि वरदा बाउजी के लिए एक सम्मानजनक पक्का मकान, शौचालय, और बिजली-पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। अर्चना ने बुजुर्ग को भरोसा दिलाया कि वे बिजली के साथ घर को भी पक्का करके देंगी। अर्चना बतातीं हैं कि दूसरे दिन से ही उन्होंने बुजुर्ग के पास से दस्तावेज लेकर बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया शुरु कर दी, लेकिन सरकारी कामकाज में कई तरह की पेचिदगियों के कारण उन्हें परेशानी आने लगी। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार बिजली विभाग से फॉलोअप लेती रही। आखिरकार बुजुर्ग का घर बिजली से रोशन हो गया। इसी बीच उन्होंने फाउंडेशन की ओर से वित्तीय इंतजाम कर कच्चे घर को भी पक्के में तब्दील करवा दिया। बुजुर्ग को उनके जीवन का पहला सम्मानजनक आशियाना प्रदान किया गया है, जिसमें बिजली, शौचालय और मानव गरिमा के साथ जीने की पूर्ण सुविधा मौजूद है।
आज, फाउंडेशन के अथक प्रयासों से वरदा मेघवाल एक सुंदर पक्के घर में रह रहे हैं, जहां उन्हें वह गरिमा, आत्मसम्मान और सुविधा मिली है जिसके वे दशकों से हक़दार थे।
पक्का घर व बिजली मिलने के बाद बुजुर्ग ने भावुक होकर कहा कि “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी के इस मोड़ पर मेरे लिए भी कोई घर होगा, वो भी ऐसा जिसमें मैं चैन की नींद सो सकूं।”
बुजुर्ग वरदा मेघवाल को घर और बिजली उपलब्ध करवाने का यह प्रयास केवल एक निर्माण कार्य नहीं था, बल्कि यह एक टूटे मन की मरम्मत, एक बुजुर्ग आत्मा को आश्रय और सम्मान की पुनर्प्राप्ति की कहानी है।
राहडा फाउंडेशन की संस्थापक अर्चना सिंह ने कहा कि जब संवेदना, समर्पण और सकारात्मक सोच साथ चलते हैं, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं होता। वरदा जी की मुस्कान, राहड़ा फाउंडेशन की सबसे बड़ी जीत है। उनका पुनर्निर्मित घर एक प्रतीक है उस भारत का जो सशक्त है, सहृदय है, और हर जीवन को सम्मान देने में विश्वास रखता है।