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धर्म के नाम लगाया हुआ सेवा और सहयोग के नाम दिया गया पैसा कभी निष्फल नहीं जाताःआचार्य ज्ञानचन्द्र

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18 Jul 25
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उदयपुर। न्यू भोपालपुरा में स्थित अरिहंत भवन में विराजित अरिहंतमार्गी आचार्य प्रवर ज्ञानचंद महाराज ने आज धर्म सभा मे कहा कि धर्म के नाम लगाया हुआ सेवा और सहयोग के नाम दिया गया पैसा कभी निष्फल नहीं जाता है। 80 बार आप साथ टालते हो, लेकिन एक बार दिए गए अच्छे काम भी आपको संभाल लेंगे। शास्त्रों में आया है कि परिग्रह कोई इकट्ठा करने की कोशिश मत करो। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वे मौका आने पर साथ छोड़ देते हैं। एक वे साथ देने के लिए मौका ढूंढते हैं।
आप आंखें बंद करके सोचिए कि आपके दोस्त, घरवाले किस कैटेगरी में आते हैं और ये भी सोचो आप किस कैटेगरी में आते हो।
आज का जमाना ही कुछ ऐसा आ गंया है कि किसी को पैसा उधार दे दो तो वापस पैसा नहीं आता और रिश्ता भी टूट जाता है। ऐसी स्थिति में जो वाकई जरूरतमंद है, उसे उधार उतना ही दो कि वापस न आने पर आप परेशानी में ना आए। जहां पैसे से भी रिश्ता महत्वपूर्ण हो, वहीं उधार दें। कोई बीमारी है तो पैसा आपके पास नहीं है तो सेवा करके तन से लाभ कमावें । ये पक्का है सेवा कभी खाली नहीं जाती है ।जहां भी अच्छे काम, सेवा के काम मिल रहे हो उसे टालिए मत, जरूर करिए।
आपने किसी बैंक में पैसे जमा करा रखे हैं, आप जहां भी जाओगे वहां से आप पैसा निकाल सकते हो। वैसा ही आपने किसी का सहयोग किया है, सेवा की है तो वो एटीएम कार्ड आपके सारे जहां में मिलेगा। एटीएम की तो लिमिट हो सकती है, वो कहीं लगा है या नहीं। किंतु हमारा कार्ड आपको सब जगह सुविधा देगा।
दूध में नींबू डालोगे तो पनीर मिलेगा। जावण डाला तो दही मिलेगा। पानी डालोगे तो पतला दूध मिलेगा और शक्कर डालोगे तो मीठा दूध मिलेगा। आप जो डालोगे वही तो मिलेगा। शक्कर डालोगे तो ही मीठा दूध मिलेगा। पुराने जमाने में जब भी घर में आइटम बनाते थे तो उसमें से कुछ अड़ोसी पड़ोसी को भी दिए जाते थे। पहले उनको दिया जाता फिर खाया जाता था इसलिए उस जमाने में घर के ताला लगाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। आज तो घर वालों पर भी विश्वास नहीं है। उस जमाने में पड़ोसी के भरोसे घर छोड़कर बाहर चले जाते थे। क्योंकि उनको प्रेम से खिलाकर उनके मन पर ताला लगा दिया जाता था, जिससे बाहर के ताले की जरूरत ही नहीं पड़ती थी।
ज्ञानेश चातुर्मास समिति के प्रमुख अशोक कांठेड़, सुशील चौधरी के अनुसार निःशस्त्रीकरण के विकास के लिए समतापर्व मनाया जा रहा है। श्याम सुंदर छाजेड़ के पांच, प्रकाश बरडिया के 11, संतरत्न श्री सुदर्शन मुनि जी महाराज साहब के 12 की तपस्या चल रही है।


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