उदयपुर, माणिक लाल वर्मा श्रमजीवी कॉलेज के शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में नगर के वाटर हीरो डॉ. पी.सी. जैन ने जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि आज कुएं और बावड़ियां कूड़ेदान बन चुकी हैं, जबकि यदि उनमें वर्षा जल संचय किया जाए तो वे भूजल रिचार्ज यूनिट बनकर भूजल स्तर को बढ़ा सकते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत जल पूजन से हुई। एक जल कलश की आरती कुलगुरु प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत के सानिध्य में संपन्न हुई। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने “एक गिलास पानी” शीर्षक लघु नाटिका प्रस्तुत की, जिसमें भविष्य का वह दृश्य दिखाया गया जब लोग एक गिलास पानी के लिए संघर्ष करेंगे।
डॉ. जैन ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब औसतन वर्षा के दिन 40 से घटकर 27 रह गए हैं। राजस्थान सहित देशभर में सूखे ट्यूबवेल्स की संख्या बढ़ रही है। “हर घर में ट्यूबवेल से जल दोहन जारी है, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा जलदान नगण्य है। यदि हमने अपनी जल दिनचर्या नहीं बदली तो आने वाली पीढ़ी को गंभीर संकट का सामना करना पड़ेगा,” उन्होंने चेतावनी दी।
उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि किस तरह उन्होंने कांकरोली में 40 साल से बंद कुएं, आमेट में कूड़ेदान बने कुएं और सीसारमा स्कूल के सूखे हैंडपंप सहित कई जलस्रोतों का पुनरुद्धार करवाया। विद्यार्थियों के लिए उन्होंने टीडीएस मीटर से पानी की जांच की और बताया कि 250–300 टीडीएस वाला पानी पीने योग्य है। साथ ही फ्लोराइड की जांच की सरल विधि भी बताई।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने सेवानिवृत्त कमिश्नर एम. मोहन राव द्वारा रचित “जल ही जीवन है” गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। वर्चुअल वाटर की अवधारणा पर भी जागरूक किया गया – जैसे 1 किलो चॉकलेट बनाने में 17,000 लीटर, एक स्मार्टफोन में 12,500 लीटर और एक साड़ी में 5,000 लीटर पानी खर्च होता है।
अंत में डॉ. जैन ने जल नारे लगवाकर सभी को जल संरक्षण संकल्प दिलवाया। साथ ही “हाय मेरा मोबाइल” शीर्षक नाटक द्वारा मोबाइल की लत से बचने का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम में निदेशक डॉ. सुनीता मुर्डिया ने डॉ. जैन का परिचय दिया, स्वागत कुलगुरु प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ललित श्रीमाली ने प्रस्तुत किया।