उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय की ऒर से मेवाड़ क्षेत्र की परंपरागत फसलों के प्रसंस्करण का उत्क्रष्ट्ता केंद्र के तहत बाँसवाड़ा के मोयावासा गांव में पाँच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजन का उद्देश्य प्रतिभागियों को मिलेट्स आधारित व्यवसायिक संभावनाओं से परिचित कराना एवं उन्हें स्वरोजगार की और प्रेरित करना था । राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डा. कमला महाजनी के निर्देशन में मिलेट्स (मोटे अनाज) के पोषणात्मक एवं कृषि संबंधी महत्व को श्रीमती अंकिता पालीवाल द्वारा रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि मिलेट्स न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, अपितु जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच भी यह फसलें कम पानी और कम लागत में अच्छे उत्पादन की क्षमता रखती है। इसके उपरांत श्रीमान गौरव धाकड़ द्वारा उत्पादों की पैकेजिंग के बारे में बताया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि किस तरह से महिलायें मिलेट से विभिन्न प्रकार के उत्पादों को निर्मित करके उसे बाजार में बेच के स्वयं का स्टार्टअप स्थापित कर सकते है। मिलेट के मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे रागी चॉकलेट, सांवा स्टिक, राजगिरा चकली, सक्करपारे तथा न्युट्राफ्लोर इत्यादि के निर्माण की प्रायोगिक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता करते हुए इन उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया सीखी तथा अनुमव किया कि मिलेट्स’ को किस प्रकार घरेलू स्तर पर उपयोगी एवं विपणन योग्य उत्पादों में रूपांतरित किया जा सकता है। प्रशिक्षण में 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया जो बाँसवाड़ा के मोयावासा गांव से सम्मिलित हुए।