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संस्कृत : संस्कृति की मूल आत्मा-विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी

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09 Aug 25
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

संस्कृत : संस्कृति की मूल आत्मा-विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी

जयपुर, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने श्रावण मास की पूर्णिमा और संस्कृत दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संस्कृत दिवस का उ‌द्देश्य भारत की प्राचीनतम और वैज्ञानिक भाषा संस्कृत के प्रति जनजागरण, सम्मान और अभ्यास को प्रोत्साहित करना है। श्रावण पूर्णिमा का दिन संस्कृत दिवस के लिए विशेष महत्व रखता है।

देवनानी ने कहा कि संस्कृत की सरलता, स्पष्टता एवं वैज्ञानिकता इसे विश्व की विशिष्ट भाषाओं में स्थान दिलाती है। संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की ज्ञान परंपरा, दर्शन, विज्ञान और संस्कृति की मूल आत्मा है। इसे संरक्षित रखना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।

देवनानी ने कहा कि संस्कृत, भारत की प्राचीनतम भाषा है। यह भाषा भारतीय संस्कृति, साहित्य, दर्शन, और विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। संस्कृत दिवस का मुख्य उ‌द्देश्य संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन और इसके अध्ययन को बढ़ावा देना है। 


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