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इस्कॉन द्वारा सामाजिक समरसता दिवस पर बहुआयामी भक्ति धारा उत्सव,

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14 Apr 24
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इस्कॉन द्वारा सामाजिक समरसता दिवस पर बहुआयामी भक्ति धारा उत्सव,

*त्रिगुणात्मिका शक्ति तत्वों से परिपूर्ण प्रकृति ही स्त्री स्वरूप में जगन्माता - अभय गौरांग प्रभु*

बांसवाड़ा, चैत्र नवरात्रि में मेष संक्रांति के दिन ही सतुआन पर्व पर भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती सामाजिक समरसता दिवस पर इस्कान की बांसवाड़ा इकाई के तत्वावधान में रविवार को इस्कान केन्द्र पर अभय गोरांग प्रभु की अगुवाई में हुए बहुआयामी कार्यक्रम में श्रृद्धा-भक्ति का ज्वार उमड़ आया।

इस अवसर पर अपने प्रवचन में अभय गौरांग प्रभु ने नवरात्रि, मेष संक्रान्ति, सतुआन पर्व आदि की चर्चा करते हुए प्रकृति के सम सामयिक आभा मण्डल को कृष्ण योग और प्रभु वासल्य का पर्याय रेखांकित करते हुए स्त्री के त्रिगुणात्मक अपार ऊर्जामय स्वरूप पर प्रकाश डाला और कहा कि प्रकृति स्त्री स्वरूप में होती है और उसकी गोद में निर्माण प्रलय पलते हैं। इनके बिना ब्रह्माण्ड का संचालन संभव नहीं है।

उन्हांने कहा कि आद्या शक्ति राधा रानी हैं जिन्होंने समस्त जड़-चेतन तत्वों का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से निरूपण किया है। वे भी इन्हीं तीनों गुणों के अधीन भिन्न-भिन्न रूपों में अवतरित हुई हैं। शक्ति में सात्त्विक, राजसिक एवं तामसिक गुणों की प्रखरता होने पर पृथक-पृथक स्वरूप में सामने आती हैं। हर स्त्री इन तीनों गुणों को कभी भी धारण करने की क्षमता रखती है, इसलिए उसे माता कहा जाता है ।

अभय गौरांग प्रभु ने कहा कि स्त्री में चन्द्र तत्व अधिक होता है इसलिए स्त्री शीतलता युक्त होने से इन तीनों गुणों को बहुत जल्दी से धारण कर लेती है क्योंकि चन्द्र चंचलता का प्रतीक भी है। इसकी कलायें घटती-बढ़ती रहती हैं।

इस अवसर पर जयंत प्रभु, डिम्पल प्रभु, वरुण प्रभु, अजय प्रभु, मानस प्रभु, चंद्रकांता वैष्णव, रचना व्यास, श्रीमति अंजली, श्रीमति हिमानी, श्रीमति कृपाली भट्ट, श्रीमति विभा भट्ट आदि ने विभिन्न अनुष्ठानों के साथ भगवद् उपासना का दिग्दर्शन कराया।

*आध्यात्मिक समागम में उमड़ा भक्ति का ज्वार*

इससे पूर्व इस्कान की बांसवाड़ा इकाई की ओर से चैत्र नवरात्रि के उपलक्ष्य में शनिवार रात बाहुबली कॉलोनी में आयोजित श्रीकृष्ण भजन संध्या एवं आध्यात्मिक सत्संग समागम में भक्ति तत्वों, कलिकाल में मंत्रराज संकीर्तन, नियमित उपासना आदि विषयों पर प्रवचन हुआ। इसके उपरान्त श्रद्धालुओं ने प्रभु भक्ति में डूबते हुए नृत्य-गायन के साथ जमकर संकीर्तन किया और श्रद्धा सहित आरती उतारी।

इस अवसर पर अभय गौरांग प्रभु ने अपने प्रवचन में सभी भक्तों से भगवान की भक्ति और प्रेम पूर्वक नाम संकीर्तन की नियमित आदत डालने का आह्वान किया और कहा कि सच्ची आत्मशांति और आनन्द का अनुभव इसी से संभव है। जीवात्मा का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना है और इसके लिए यह जरूरी है हम प्रभु भक्ति में पूरी तरह रम जाएं।


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