बांसवाड़ा। आधुनिक तकनीक से व्यंजन निमार्ण कार्य सरल होता जा रहा है और प्रतिदिन बच्चों को गर्म मीठा दूध और तय मानक ओर मीनू अनुसार स्वादिष्ट भोजन बनाकर बच्चों को प्रेम से खिलाने पर वह प्रसाद बन जाता है
यह मानना है राउमावि अमरथुन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे कुक कम हेल्पर का ।
उल्लेखनीय है कि शासन सचिव के आदेश की पालना में कुक कम हेल्पर आज संस्था प्रधान अरुण व्यास की अगुवाई में ऑनलाइन पोर्टल से सेमिनार में जुड़ कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे।
*स्कूलों में पोषाहार बनाने वालों को होटल मैनेजमेंट वालो ने दी ट्रेनिंग*
*वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के सहयोग से प्रशिक्षण*
इस अवसर पर नोडल के विभिन्न विद्यालय के एम डी एम प्रभारियों ने समस्याओं को रेखांकित किया।
नोडल एम डी एम प्रभारी श्रीमति प्रज्ञा अधिकारी ने बताया कि
सरकारी स्कूलों में दोपहर में चावल, दलिया, खिचड़ी, सब्जी,चपाती व अन्य व्यंजन बनाने वाले कुक कम हैल्पर्स को अब होटल मैनेजमेंट वालो द्वारा आज ट्रेनिंग दी गई ।
उन्होंने कहा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के सहयोग से इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट जयपुर की एक्सपर्ट टीम पूरे राज्य के कुक कम हैल्पर्स को विशेष प्रशिक्षण दे रही हैं।इसका मकसद गुणवत्ता में सुधार करना व स्वच्छता पर जोर देना है।
*चपाती में मिलाएंगे बथुआ व मैथी*
इस अवसर पर पर्वत सिंह ने बताया कि राज्य स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त ने अलग से सभी जिलों के प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
इसमें लिखा है कि आटे में बथुआ, मैथी, लौकी, धनिया जैसी हरी सब्जियां मिलाकर बच्चों को चपाती परोसी जाए।
खिचड़ी और सब्जी को प्रेशर कुकर में पकाकर अधिक पोषक और स्वादिष्ट बनाया जाए।
खाद्यान्न, मसाले, दाल व तेल आदि निर्धारित मात्रा में ही उपयोग में लिए जाएं।
सब्जियों को साफ-सुथरे तरीके से धोकर और काटकर ही उपयोग किया जाए।
उन्होंने तेल का उपयोग कम करने के निर्देश भी दिए हैं।
इसके अलावा स्कूल परिसरों में किचन गार्डन और न्यूट्रीशन गार्डन विकसित किए जाएंगे, जहां पालक, मैथी, धनिया, मिर्च, टमाटर, नींबू जैसी सब्जियां उगाई जाएं।
*सप्ताह में एक दिन केले या अमरूद मिलेगा*
सप्ताह में एक दिन बच्चों को मौसमी फल देने के भी निर्देश दिए गए हैं।
सर्दियों में अमरूद और अन्य मौसमों में केला अनिवार्य रूप से दिया जाएगा।
साथ ही फोर्टीफाइड आटा, तेल, चावल व दाल के प्रयोग पर भी जोर रहेगा।
भोजन पकाने और परोसने की प्रक्रिया में बर्तनों, स्थानों और खाद्य सामग्री की स्वच्छता को प्राथमिकता दी जाएगी।
इससे बच्चों की सेहत और भोजन की गुणवत्ता दोनों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
*नई पहल: स्कूलों में बच्चों के लिए किचन और न्यूट्रीशन गार्डन की तैयारी*
*ताजा सब्जियों से बनेगा भोजन, सप्ताह में मिलेगा फल भी*
वर्तमान नवीन शैक्षणिक सत्र में अमरथून नोडल के विद्यालयों में मिड-डे मील को और अधिक पौष्टिक व ताजा बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
इसके लिए स्कूल परिसरों में किचन गार्डन और न्यूट्रीशन गार्डन विकसित किए जाएंगे, जहां पालक, मैथी, धनिया, मिर्च, टमाटर, नींबू जैसी सब्जियां उगाई जाएंगी।
यह पहल बच्चों को स्वस्थ भोजन देने के साथ-साथ हरित शिक्षा से भी जोड़ेगी।
भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए खाना परोसने से पहले कार्मिक ,अभिभावकों द्वारा स्वाद परीक्षण किया जाएगा।
खाद्यान्न, मसाले, दाल व तेल आदि निर्धारित मात्रा में ही उपयोग में लिए जाएंगा।
ओर सब्जियों को साफ-सुथरे तरीके से धोकर और काटकर ही उपयोग किया जाए।
*चपाती में भी घुलेगी सेहत*
आटे में बथुआ, मैथी, लौकी, धनिया जैसी हरी सब्जियां मिलाकर बच्चों को चपाती परोसी जाएगी, ताकि पोषण के साथ स्वाद भी बढ़े। दाल, खिचड़ी और सब्जी को प्रेशर कुकर में पकाकर अधिक पोषक और स्वादिष्ट बनाया जाएगा।
*हर सप्ताह मिलेगा मौसमी फल*
सप्ताह में एक दिन बच्चों को मौसमी फल देने का भी निर्देश है। सर्दियों में अमरूद और अन्य मौसमों में केला अनिवार्य रूप से दिया जाएगा।
साथ ही फोर्टीफाइड आटा, तेल, चावल व दाल के प्रयोग पर भी जोर रहेगा। भोजन पकाने और परोसने की प्रक्रिया में बर्तनों, स्थानों और खाद्य सामग्री की स्वच्छता को प्राथमिकता दी जाएगी।
इससे बच्चों की सेहत और भोजन की गुणवत्ता दोनों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।