चित्तौड़गढ़, मेवाड़ की महान विरासत एवं पराक्रम के प्रतीक महाराज श्री शक्ति सिंह जी की 483वीं जयंती इन्दिरा प्रियदर्शिनी ऑडिटोरियम, चित्तौड़गढ़ में समारोहपूर्वक और गरिमामय वातावरण में मनाई गई। इस ऐतिहासिक अवसर पर चित्तौड़ की वीर भूमि एक बार फिर से उनके अद्भुत शौर्य, निष्ठा और बलिदान की गाथाओं से गुंजायमान हो उठी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राव साहब श्रीमान राजेन्द्र सिंह जी शाहपुरा, वर्तमान सांसद (जयपुर ग्रामीण), थे। उन्होंने महाराज शक्ति सिंह जी के साहस और राष्ट्र भक्ति को नमन करते हुए कहा कि शक्ति सिंह जी का त्याग और बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने भाई महाराणा प्रताप की रक्षा में जो भूमिका निभाई, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री चन्द्रभान सिंह जी आक्या और मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंह जी मेतवाला उपस्थित रहे। उन्होंने अपने उद्बोधनों में महाराज शक्ति सिंह जी के जीवन चरित्र, उनके निर्णयों और वीरता की चर्चा करते हुए कहा कि शक्ति सिंह जी ने धर्म, संस्कृति और परिवार की मर्यादाओं की रक्षा हेतु जो आदर्श प्रस्तुत किए, वे आज भी समाज में प्रासंगिक हैं।
समारोह में मेवाड़ क्षेत्र के विभिन्न कोनों से आए गणमान्य नागरिक, क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि, युवा वर्ग और छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में लोकगीतों, वीर रस कविताओं और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से शक्ति सिंह जी के जीवन के प्रेरणास्रोत प्रसंगों को मंचित किया गया, जिससे उपस्थित जनसमूह भावविभोर हो उठा।
समारोह का आयोजन मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के तत्वावधान में किया गया, जिसमें समाज की एकता, युवाओं में जागरूकता एवं वीरता की परंपरा को आगे बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया।
कार्यक्रम का समापन शक्ति सिंह जी की स्मृति में सामूहिक पुष्पांजलि और राष्ट्रगान के साथ किया गया।