GMCH STORIES

मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसाइटी में सबसे अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित

( Read 733 Times)

19 Jun 25
Share |
Print This Page
मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसाइटी में सबसे अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित

उदयपुर,मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसाइटी, उदयपुर की एक विशेष बैठक में जल नायक डॉक्टर पी.सी. जैन ने जल संरक्षण के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उदयपुर के डॉक्टर सामाजिक सरोकार के साथ पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जैन ने बताया कि अब तक 115 से अधिक डॉक्टरों ने अपने अस्पताल, क्लीनिक और निजी आवासों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए हैं। इसके परिणामस्वरूप हर वर्ष करोड़ों लीटर वर्षा जल, जो पूर्व में व्यर्थ बह जाता था, अब प्रभावी ढंग से भूजल स्तर में समाहित हो रहा है। इस सतत प्रयास से न केवल भूमिगत जल स्तर में वृद्धि हुई है, बल्कि उसकी गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की विशेषताएं:

छतों पर गिरने वाले वर्षा जल को पाइपलाइन से सीधे संग्रहण टैंकों या पुनर्भरण कुओं तक पहुंचाया जाता है।

फिल्टर सिस्टम के माध्यम से जल की अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं, जिससे यह पीने योग्य नहीं तो कम से कम सिंचाई, टॉयलेट फ्लशिंग और रिचार्ज उपयोग के लिए उपयुक्त हो जाता है।

यह प्रणाली वर्षा ऋतु में प्रति वर्ष औसतन 1 लाख से 5 लाख लीटर जल एकत्र करने में सक्षम होती है, स्थान और क्षेत्रफल पर निर्भर करता है।

जल नायक डॉ. पी.सी. जैन की भूमिका:

डॉ. जैन को उदयपुर का "जल मित्र" और "जल नायक" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पिछले एक दशक में जल संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता लाने के लिए:

शहर के कई इलाकों में जल संवाद कार्यक्रम आयोजित किए।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के डेमो मॉडल बनाकर डॉक्टरों और आम जनता को प्रेरित किया।

सरकारी संस्थाओं और स्थानीय निकायों के साथ मिलकर वॉटर ऑडिटिंग और तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया।

उनकी इस अथक पहल के कारण अब मेडिकल प्रैक्टिशनर सोसाइटी राजस्थान की एकमात्र ऐसी संस्था बन गई है, जिसने सबसे अधिक संख्या में अपने सदस्यों के संस्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए हैं।

एक मिसाल बनते डॉक्टर:

यह पहल इस बात का जीवंत उदाहरण है कि डॉक्टर सिर्फ इलाज ही नहीं करते, बल्कि समाज के लिए प्रकृति के चिकित्सक भी बन सकते हैं। यह मॉडल देश के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जा सकता है, जहाँ प्रोफेशनल संस्थाएं सामूहिक रूप से जल संरक्षण को अपनाएं।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like