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पिज़्ज़ा और बर्गर के कारण महिलाओं के जैसे पुरुषों में भी स्तन कैंसर होने का ख़तरा : डॉ. लियाक़त अली मंसूरी 

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27 Nov 25
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पिज़्ज़ा और बर्गर के कारण महिलाओं के जैसे पुरुषों में भी स्तन कैंसर होने का ख़तरा : डॉ. लियाक़त अली मंसूरी 

इस आधुनिक दौर में जैसे-जैसे समय बदल रहा है लोगों ने भी अपनी जीवनशैली को बदल दिया है, जिससे खान-पान में बदलाव आया है l  लोगों को पता ही नहीं है कि वे इस बदली हुई जीवनशैली के कारण कई गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं l  एयरटाइट कंटेनर का खाना , प्रोसेस्ड फूड या फ़ास्ट फ़ूड खाना आजकल जैसे एक अमीरी फैशन बन गया है । आधुनिक युवाओं में पिज़्ज़ा ,बर्गर जैसी चीज़ें खाने का ऐसा क्रेज़ बन चुका है कि वे अपने आप को आधुनिक और अमीर समझने की गलती कर रहे हैं । 
                          विशेषज्ञों के मुताबिक़ पिज्जा, बर्गर के ज्यादा सेवन से शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल अचानक बढ़ जाता है, यही बढ़ा हुआ ग्लूकोस ज्यादा इंसुलिन पैदा करता है और इससे खतरनाक कैंसर कोशिकाएँ बनने लगती हैं । इनमें बहुत से रासायनिक तत्व अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड या फास्ट फूड में स्वीटनर्स का इस्तेमाल होता है और ये हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं l इसी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में नमक और चीनी की मात्रा अधिक होती है और शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों और फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है ।
                                 कैंसर उम्र बढ़ने, पारिवारिक अनुवांशिकी, गलत जीवनशैली के कारण भी हो सकता है। अगर लंबे समय तक प्रोसेस्ड फूड और फास्ट फूड को अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो कोलन कैंसर होने का भी खतरा और भी बढ़ जाता  है।
                         इसी तरह से ब्रेड बनाने में पोटैशियम बोरमेट और पोटैशियम आयोडेट का इस्तेमाल होता है। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा 1999 में कराए गए एक अध्ययन के मुताबिक, पोटैशियम बोरमेट को क्लास 2बी का घटक पाया गया, जिससे पेट का कैंसर होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। फास्ट फूड के अत्यधिक सेवन से अतिरिक्त वजन बढ़ता है और इस तरह महिलाओं में मोटापे से संबंधित कैंसर को भी आमंत्रित करता है।
                          इसी तरह से आजकल पुरुषों में भी स्तन कैंसर देखा जा रहा है जो एक दुर्लभ बीमारी है यह स्तन कैन्सर ऊतकों में असामान्य कोशिका वृद्धि के कारण होती है। 

लक्षण—इसके मुख्य लक्षण निप्पल के आसपास अक्सर एक सख्त, दर्द रहित गांठ होती है, जो आमतौर पर निप्पल और उसके आसपास की त्वचा (एरिओला) के नीचे होती है। इसके अन्य लक्षणों में त्वचा का लाल होना, पपड़ी बनना या धंसाव (संतरे के छिलके जैसी बनावट) शामिल है। निप्पल से डिस्चार्ज होना ।

जोखिम कारक—आनुवंशिक उत्परिवर्तन , वृद्धावस्था, लाइनफेल्टर सिंड्रोम , छाती पर विकिरण चिकित्सा , उच्च एस्ट्रोजन स्तर । 

यूनानी चिकित्सा—कैन्सर के मरीज़ों को यूनानी चिकित्सक के परामर्श के अनुसार चिकित्सा करवानी चाहिए । यूनानी चिकित्सा निम्नानुसार की जाती हैं—
1. प्रिवेंटिव चिकित्सा—इसमें पहले ही बीमारी को रोकने वाली दवाइयां दी जाती हैं। 
2. ⁠सिंप्टोमेटिक चिकित्सा—लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है जैसे कि बुखार, दर्द, खाँसी , मुँह के छाले आदि । 
3. ⁠क्यूरेटिव चिकित्सा—इसमें बीमारी को जड़ से ख़त्म करने की दवाईयां दी जाती हैं । 


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