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राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की फ्रांस यात्रा

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19 Jun 25
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राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी की फ्रांस यात्रा

*भारत-फ्रांस मैत्री के सुदृढ़ आयामों से दोनों देशों में स्वतंत्रता समानता और भाईचारा बड़ा है -देवनानी*

 

नई दिल्ली/जयपुर,   राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी  ने कहा है कि भारत-फ्रांस के दीर्घकालिक और बहुआयामी रणनीतिक संबंधों  से दोनों देशों में स्वतंत्रता समानता और भाईचारे की भावना का विकास हुआ है।

 देवनानी ने पश्चिमी यूरोप में स्थित फ्रेंच रिपब्लिक की राजधानी पेरिस में स्थित संसदीय और प्रशासनिक संस्थानों का दौरा किया। उन्होंने नेशनल असेंबली का भी अवलोकन किया। देवनानी ने 551,695 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस देश की भौगोलिक स्थिति, बहु सांस्कृतिक समाज और विभिन्न क्षेत्रों की भूमिका को समझा। 

 

इस अवसर पर देवनानी ने पेरिस में फ्रांस की नेशनल असेंबली के वरिष्ठ सांसद और भारत फ्रांस मैत्री समूह के अध्यक्ष श्थिएरी टेशन  और अन्य प्रतिनिधियों से औपचारिक संवाद मैं कहां की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अन्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और काउंटर टेररिज्म पर एक मत होने की आवश्यकता प्रतिपादित की है।देवनानी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की 10 से 12 फरवरी को हुई फ्रांस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस के मध्य परमाणु और एआई से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर 10 एमओयू हुए हैं।

 

देवनानी ने बताया कि फ्रांस में भारत के दस हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं, अब दोनों देशों के मध्य तय हुआ है कि यह संख्या अब बढ़कर तीस हजार की जाएगी।

 

भारत-फ्रांस संसदीय मैत्री समूह के अध्यक्ष से  गहन विमर्श के केंद्र में द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग, वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त रणनीति, डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटीज, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यावरण, सांस्कृतिक शैक्षिक साझेदारी, परमाणु ऊर्जा और मॉड्यूलर रिएक्टर से संबंधित विषय शामिल थे।

 

देवनानी ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच 1998 से स्थापित रणनीतिक साझेदारी अब एक परिपक्व और बहुविषयी साझेदारी का स्वरूप ले चुकी है, जिसमें रक्षा, साइबर सुरक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान और काउण्टर टेररिज्म जैसे क्षेत्रों में निरंतर सहयोग हो रहा है।

 

देवनानी ने यह भी रेखांकित किया कि अप्रैल 2025 में भारत द्वारा 26 राफेल लड़ाकू विमानों के नए समझौते से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग नई ऊँचाइयों पर पहुँच चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि फ्रांस में नियमित रूप से हो रहे संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों सेनाओं की संयुक्त क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं।

 

स्मार्ट सिटीज, इंडो-प्रशांत कॉरिडोर, पर्यावरणीय परिवर्तन (आईएनएस, आईएसए, सीडीआरआई) और स्टार्टअप्स एवं डिजिटल विज्ञान के क्षेत्रों में हुए एमओयू भारत की टेक्नोलॉजी-ड्रिवन विकास नीति को वैश्विक मंच पर स्थापित करते हैं। देवनानी ने फ्रांस में उभरते एआई और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स पर सहयोग को विशेष रूप से रेखांकित किया, जिससे हरित ऊर्जा और भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

 

शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर बोलते हुए उन्होंने 1789 की फ्रांसीसी क्रांति की मूल भावना – स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व – को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान से जुड़ी साझी विरासत बताया।

 

इस यात्रा के माध्यम से देवनानी ने न केवल राजस्थान की सांस्कृतिक गरिमा और भारत की लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि भारत-फ्रांस संबंधों को और भी सशक्त एवं सक्रिय रूप देने की दिशा में एक सार्थक योगदान दिया।

 

देवनानी ने फ्रांस की जनसांख्यिकी संरचना, जिसमें मुख्य रूप से फ्रांसीसी नागरिकों के साथ उत्तर अफ्रीकी, उप-सहारा अफ्रीकी, एशियाई और यूरोपीय समुदायों की उपस्थिति है, का अवलोकन किया।उन्होंने फ्रांसीसी संविधान में निहित (धर्मनिरपेक्षता) के सिद्धांत, और विभिन्न धर्मों जैसे ईसाई (मुख्यतः रोमन कैथोलिक), इस्लाम, यहूदी धर्म, बौद्ध धर्म तथा बढ़ती निरधर्मी जनसंख्या के बीच सामंजस्य को विशेष रूप से सराहा।

 

फ्रांस की सेमी-प्रेसीडेंशियल रिपब्लिक प्रणाली की कार्यप्रणाली का अध्ययन करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति (जो सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं), प्रधानमंत्री (राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त), तथा द्विसदनीय संसद (सेनेट और नेशनल असेंबली) की संरचना को करीब से देखा।

फ्रांस का Napoleonic Civil  Code आधारित न्यायिक ढांचा और मुक्त एवं निष्पक्ष बहुदलीय चुनाव प्रणाली राजस्थान एवं भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए प्रेरणादायक मानी गई।

 

यात्रा के दौरान देवनानी ने फ्रांसीसी सांसदों, शिक्षाविदों, और प्रवासी भारतीय समुदाय से भी संवाद किया, जिससे भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी विशेषकर शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, और संसदीय आदान-प्रदान के क्षेत्र में नई दिशा प्राप्त कर सके।


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