कोटा ।कोटा के जगपुरा आरटीओ कार्यालय में भारी भ्रष्टाचार और लापरवाही की खबरें सामने आई है। कोटा की एसीबी को इस कार्यालय पर निगरानी करके भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों को जेल के सिंखचों में बंद करना चाहिए। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार कोटा आरटीओ कार्यालय जगतपुरा में बिना सुविधा शुल्क दिए काम करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा दिखता है। आरटीओ कार्यालय के अफसर और कर्मचारी आर टी ओ एजेंटों को भी नहीं बक्श रहे। सुविधा शुल्क लेने के बाद काम समय पर नहीं कर रहे है। लाइसेंस रिनुअल और नए लाइसेंस को बनाने में आनाकानी कर रहे हैं।
ताजा खबरों की बात करें तो 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच आ टीओ कार्यालय में एक भी रिनुअल लाइसेंस और नया लाइसेंस बनकर तैयार नहीं हुआ है। खास बात तो यह है कि एक इंटरनेशनल लाइसेंस के रिनुअल की फाइल ही विभाग से गायब हो गई। फाइल को लेकर बाबू एक दूसरे के पास टरकाने का काम कर रहे हैं। इंटरनल लाइसेंस का आवेदक अपनी फाइल गुम होने से परेशान नजर आ रहा है। नियमों की बात करें तो ऐसे लाइसेंस एक ही दिन में रिनुअल करके दे दिए जाते हैं। इंटरनेशनल लाइसेंस की आवेदक ने 4 अप्रैल को आरटीओ कार्यालय में आवेदन कर फोटो भी खिंचवा लिया था। लेकिन आज 15 तारीख होने के बाद भी उसका लाइसेंस रिन्यूअल नहीं हो पाया है। लाइसेंस के रिन्यूअल की बात तो दूर है विभाग में उसकी फाइल ही नहीं मिल रही है। उस फाइल के लिए वहां पर तैनात बाबू दिनेश शर्मा और हरी शंकर मीना एक दूसरे के पास चक्कर कटाते रहे। एक बाबू तो कुर्सी पर गुटखा खाए बैठा था। दोनों बाबू का कहना था कि डीटीओ अरविंद सिंह राठौड़ अप्रूवल ही नहीं कर रहे है। इसलिए लाइसेंस तैयार नहीं हो रहे। जबकि अधिकारी के हाथ में अप्रूवल करना होता है लेकिन वह जानबूझकर अप्रूवल नहीं कर रहे।यहां के भ्रष्टाचार की बात करें तो यहां बनने वाले नए लाइसेंस और रिन्यूअल लाइसेंस हो, बिना सुविधा शुल्क दिए काम होने का मतलब ही नहीं इसलिए नए लाइसेंस और रिन्यूअल करवाने वाले आवेदकों को आरटीओ एजेंट का सहारा लेना पड़ता है। कोटा के आरटीओ कार्यालय में सुविधा शुल्क भी काम के हिसाब से तय है। आप कर का ड्राइविंग लाइसेंस बनाना चाहते हैं और आपको कार नहीं चलानी आती है तो उसके लिए सुविधा शुल्क दो हजार रुपए देने होंगे। नए कार के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए दो हजार सुविधा,सरकारी शुल्क 1800 फीस और 1200 रुपएआरटीओ एजेंट के में मेहनताने के होते हैं। कुल हिसाब की बात करे तो ड्राइविंग लासेंस के5000 देने पड़ते हैं। भूल से।सीधे आपने लाइसेंस के लिए सीधा आवेदन कर दिया तो समझिए कि आपका लाइसेंस बनाना टेढ़ा काम हो जाएगा। आवेदक को इतने चक्कर कटवाते हैं की वह कसम खा लेता है की वह कभी भी सीधा लाइसेंस के लिए आवेदन नही करेगा। सीधे आवेदक को वहां के अधिकारी और कर्मचारी सारे नियम कानून बता देते हैं इन नियमों में रहकर ही लाइसेंस बनेगा। लेकिन सुविधा शुल्क देने के बाद सारे नियम कानून कायदों को ताक में रखकर लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। वहां पर बैठे एक अधिकारी को तो यह तक कहते सुना की कलेक्टर आएगा तो उसको भी नियमों के तहत लाइसेंस बनवाना होगा। यानी जो भी सुविधा शुल्क नहीं देगा उसे नियमों में बनवाना होगा। सूत्रों की माने तो इस कार्यालय में लगभग रोजाना डेढ़ सौ से 200 के बीच नए और रिनुअल लाइसेंस बनने के लिए आते हैं। उनकी बेईमानी पड़ती है सीधा-साधा तरीका है पिछले 15 दिन के जो कार ड्राइविंग लाइसेंस बने हैं उनको बुलाकर आर टी ओ कार्यालय के ट्रैक पर उनसे कार चलवा लीजिए उनमें से एक भी कार नहीं चला पाएगा। खबर यह भी है कि यह आवेदको को नही आर टी ओ एजेंटों को भी सुविधा शुल्क लेने के बाद चक्कर कटाते हैं।