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फलोदी सट्टा बाजार बिरला और गुंजल के लिए क्या दे रहे संकेत 

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22 Apr 24
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 फलोदी सट्टा बाजार बिरला और गुंजल के लिए क्या दे रहे संकेत 

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट को लेकर भी सट्टे का बाजार गरम है। क्योंकि इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

कोटा लोकसभा सीट पर किसकी होगी जीत?  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फलोदी सट्टा बाजार बिरला और गुंजल के लिए क्या दे रहे संकेत कोटा बूंदी सीट पर सट्टा बाजार में कौन है आगे

 राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर केवल सियासत ही नहीं सट्टा बाजार में हलचल मची हुई है. लोकसभा चुनाव को लेकर फलोदी सट्टा बाजार एक्टिव हो गया है। फलोदी सट्टा बाजार में लोकसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवार की जीत और हार पर सट्टा लगाया जाता है। ऐसा देखा गया है कि फलोदी सट्टा बाजार में उम्मीदवारों पर जो सट्टा लगाया जाता है उसमें कई बार उम्मीदवारों के जीत और हार के संकेत मिलते हैं।राजस्थान के कोटा लोकसभा सीट को लेकर भी सट्टा बाजार गरम है. क्योंकि इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर बीजेपी की ओर से ओम बिरला मैदान में हैं. तो वहीं कांग्रेस की ओर से प्रहलाद गुंजल चुनावी मैदान में बिरला को चुनौती दे रहे हैं. चूकी प्रहलाद गुंजल सालों से बीजेपी में थे और चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें कोटा सीट से टिकट दिया. इसके बाद कोटा सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया. इसके साथ ही अब सटोरी भी एक्टिव हो गए हैं.

 

कोटा बूंदी सीट पर किसका पलड़ा भारी

कोटा-बूंदी सीट पर ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल के बीच चुनावी मैदान में टक्कर है तो वहीं फलोदी सट्टा बाजार में दोनों के बीच कड़ा टक्कर देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि बीजेपी उम्मीदवार ओम बिरला का भाव जहां 70 पैसे हैं. तो वहीं प्रहलाद गुंजल का भाव 75 पैसे है. यानी दोनों के बीच का अंतर काफी कम है.

 

यानी फलोदी सट्टा बाजार के हिसाब से दोनों के बीच कड़ी टक्कर है. वैसे ओम बिरला कुछ अंतर से आगे हैं. लेकिन प्रहलाद गुंजल उनसे थोड़े पीछे हैं. यानी यहां से किसकी जीत होगी अभी तय कर पाना मुश्किल है.

 

कहां घिर रहे हैं ओम बिरला

राजनीतिक जानकारों की मानें तो ओम बिरला के सामने सत्ता विरोधी खेमे को रोकने का कोई समाधान नहीं नजर आ रहा है. ओम बिरला पर स्थानीय लोग वादा न पूरा करने का आरोप भी लगा रहे हैं. उन्हें कोटा एयरपोर्ट के मुद्दे पर भी घेरा जा रहा है. जिसके लिए वह काफी समय से वादा कर रहे हैं. 

 

हालांकि, ओम बिरला के लिए मजबूत स्थिति इस वजह से माना जा रहा है कि कोटा RSS का गढ़ माना जाता है. वहीं राम मंदिर का मुद्दा और पीएम मोदी का नाम बिरला को मजबूत स्थिति में लाता है और इसका फायदा उन्हें मिल सकता है. प्रहलाद गुंजल के लिए यहां सचिन पायलट फैक्टर भी हैं जो उनके साथ है. सचिन पायलट फैक्टर अगर काम करता है तो प्रहलाद गुंजल को ज्यादा फायदा मिल सकता है.


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