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छलावा

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30 Oct 23
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डॉ प्रेरणा गौड़ 'श्री

छलावा

छलावा


चारों तरफ हरियाली है बूंदाबांदी होने लगी । आज हिंदी की क्लास में प्रोफेसर बुद्धाराम घनानंद पढ़ा रहे थे। सभी विद्यार्थी भाव विभोर हो गए थे प्रोफेसर बुद्धाराम बता रहे थे कैसे घनानंद का लौकिक प्रेम अलौकिक प्रेम बन जाता है घनानंद नृत्यकि सुजान से प्रेम करते हैं और सुजान द्वारा उन्हें ठुकरा दिया जाता है तब वे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं ।

प्रोफेसर बुद्धाराम लेक्चर देने के बाद में स्टाफ रूम की ओर निकल पड़ते हैं सारे विद्यार्थी क्लास रूम से बाहर आते हैं बाहर का नजारा देखकर और खुश हो जाते है।

लड़के लड़कियों का समूह बारिश की बूंदाबांदी को एंजॉय करता है तभी सरोज कह उठती है

" आज का दिन बहुत अच्छा है पहले प्रोफेसर बुद्धाराम जी ने बहुत अच्छे कवि घनानंद की प्रेम व्याख्या की और अब यह बारिश , दोस्तों प्रेम करना चाहिए और मैं खुले दिल से कहती हूं मैं तो प्रेम करूंगी मैं तो प्रेम करूंगी"

काजल कहती है " तुम बिल्कुल ठीक कहती हो सरोज आज का मौसम और आज का व्याख्यान बेमिसाल है और मैं तो प्रेम करने के समर्थन में हूं"

उधर से रोहित आ रहा होता है वह देखता है की लड़कियों का समूह दूर खड़ा है उसकी नजर सरोज पर पड़ती है

रोहित सरोज के पास आकर उससे बातचीत करते हुए पूछता है कि आपका नाम क्या है और आप किस विषय की विद्यार्थी हैं

पहले पहल तो सरोज एकदम सहम जाती है लेकिन फिर उत्तर देती है मेरा नाम सरोज है और मैं बीए की विद्यार्थी हूं

रोहित कहता है मेरा नाम रोहित है मैं कई दिनों से आपसे बातचीत करना चाह रहा था लेकिन अवसर ही नहीं मिल पा रहा था । रोहित अपना फोन नंबर देता है और सरोज से कह उठता है जब भी  आपको कोई काम हो कोई समस्या हो तो मुझे अवश्य फोन करें मैं आपकी सहायता अवश्य करूंगा।

सरोज मुस्कुराते हुए धन्यवाद करती हुई कहती है जी अवश्य कभी कोई परेशानी होगी तो मैं अवश्य आपको फोन करूंगी लीजिए आप भी मेरा नंबर लीजिए आपको भी कभी आवश्यकता हो तो मुझसे संपर्क अवश्य कीजियेगा।

रोहित कहता है जी अवश्य मैं वैसे भी रायपुर से हूं और मुझे यहां की लोकल जानकारी के लिए आपसे संपर्क करना पड़ेगा आपको इसमें कोई आपत्ति तो नहीं।
सरोज कहती है जी अवश्य इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है आप जब चाहे तब मुझे किसी भी समस्या के समाधान के लिए कॉल कर सकते हैं ‌।
अब रोहित और सरोज फोन पर मैसेज चैट के माध्यम से एक दूसरे से बात करने लगते हैं रोहित सरोज की कुछ-कुछ हेल्प करता है और सरोज रोहित की खूब हेल्प करती है जब कभी भी जरूरत होती है तो दोनों एक दूसरे के लिए खड़े हो जाते हैं।

रोहित मनचला लड़का है उसे कोई भी लड़की पसंद आ जाती है तो वह उससे पहले हेल्प करने के बहाने और हेल्प लेने के बहाने संपर्क बढ़ाता है।

सरोज बिल्कुल सीधी साधी लड़की है पढ़ाई में बहुत होशियार है ऐसे में क्लास के अन्य विद्यार्थी भी उसे ईष्या करते हैं उसके मन में हमेशा से सच्ची मोहब्बत पाने की लालसा रही है अब जैसे ही रोहित उसे मिला और उसे अब धीरे-धीरे लगने लगा रोहित उसकी सच्ची मोहब्बत है और वह धीरे-धीरे रोहित से प्रेम करने लगती है।

रोहित सरोज को कॉल करता है और कहता है " ओ मेरी हीरोइन आज मौसम बड़ा अच्छा है और मैं बिल्कुल फ्री हूं चलो हम कहीं घूम के आते हैं मैं तुम्हारा इंतजार 9:00 बजे करुंगा तुम कॉलेज आ जाना वहीं से हम घूमने चलेंगे ओ मेरे दिल के नूर जल्दी से आ जाना"

सरोज कहती है " हां मैं आती हूं हम जरूर चलेंगे घूमने"

सरोज ठीक 9:00 बजे कॉलेज में पहुंच जाती है और रोहित भी वहां कॉलेज में मिल जाता है दोनों कॉलेज से दूर कॉफी कैफे जाते हैं रोहित ने पहले से ही कॉफी कैफे में प्राइवेट टेबल बुक करवाई थी जहां पर अक्सर प्रेमी प्रेमिका एकांत में वार्तालाप करते हैं।

रोहित सरोज से कहता है मेरी जान मैं तो चाहता था कि तुम्हें बहुत कुछ कहूं लेकिन समझ में नहीं आ रहा कैसे कहूं इतना कहते हुए रोहित सरोज का हाथ पकड़ लेता है धीरे-धीरे सरोज के हाथों को सहलाता है और फिर उसे सीने से लगाता हुआ कह उठता है सरोज मेरी डार्लिंग आई लव यू मैं तुमसे प्यार करता हूं और मैं तुम्हें पूरी अच्छी तरीके से देखना चाहता हूं हम दोनों एक होना चाहते हैं यह बात मैं भी जानता हूं और तुम भी और ऐसा कहते हुए रोहित सरोज के माथे को चूमता है और  कहता है कि अब मैं पूरी तरह से तुममें 
 खोना चाहता हूं और तुम भी मुझ में खो जाओ आओ हम शारीरिक संबंध बनाते है।
 होटल ताज में अपने लिए रूम बुक भी कर लिया है चलो हम वहां चलते हैं।

सरोज अचानक से आश्चर्यचकित हो जाती है और कहती है "रोहित मैं तुमसे प्रेम अवश्य करती हूं लेकिन मेरा प्रेम विवाह की परिणिति चाहता है मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूं विवाह से पहले मैं शारीरिक संबंध बनाने का समर्थन नहीं करती हूं"

सरोज की बातें सुनकर रोहित आग बबूला हो जाता है और कहता है "विवाह कैसा विवाह?
तुम्हारे साथ में विवाह नहीं करना चाहता मेरा विवाह पहले से ही तय है ।मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता हूं सिर्फ तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध और तुम कैसे प्रेम की बातें करती हो मुझे तुमसे सिर्फ सिर्फ शारीरिक संबंध बनाना है इसके अलावा मुझे तुम्हारे से कोई विवाह नहीं करना है" 

सरोज रोहित की बातों को सुनकर एकदम से रोने लगती है और कहती है "तुमने इतने दिनों से जो मेरे साथ किया वह सिर्फ एक छलावा था तुम्हें मुझसे कोई मोहब्बत नहीं थी तुमने सिर्फ मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए यह जाल रचा यह तुमने बिलकुल ठीक नहीं किया रोहित यह तुमने बिलकुल ठीक नहीं किया"


रोहित " अरे जा जा तेरी जैसी सती सावित्री लड़कियों को मैं अच्छी तरीके से जानता हूं तुम जैसी लड़कियों को मूर्ख बनाना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है तुम्हें पता भी है तुमसे पहले भी कई लड़कियों को मैंने  प्यार का वास्ता देकर अपनी रातें रंगीन की है और तुम एक अकेली ऐसी मिली हो जो विवाह चाहती है अरे मैं तुम्हारे जैसी लड़की से विवाह नहीं करता"

सरोज घर चली जाती है । कई दिनों तक वह रोहित का छलावा भूल नहीं पाती है फिर वह अपने आप को संभालती है और पढ़ाई  करती है।

सरोज आईएएस ऑफिसर बन जाती है और वह संकल्प लेती है कि वह लड़कियों को जागृत करेगी ऐसे में वह निशुल्क शिक्षा देने का भी कार्य करती है।

सरोज द्वारा निशुल्क महिला अध्ययन केंद्र खोला जाता है और वहां पर महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है जिससे महिलाएं स्वावलंबिनी बन सके और अपने पैरों पर खड़ी होकर स्वाभिमान के साथ जी सके और कोई उनके साथ छलावा न कर सके।

सरोज महिला अध्ययन केंद्र में अपना वक्तव्य देते हुए कहती है " लड़कियों में आपसे एक ही बात कहना चाहती हूं आप लोग मेहनत कीजिए अपने हुनर को पहचानिए और अपने पैरों पर खड़ी हो जाइए और स्वावलंबी बन जाइए यही आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण है आप अपनी पहचान के माध्यम से बहुत कुछ प्राप्त कर सकती हैं और संसार में बहुत कुछ दे भी सकती हैं । आप संसार का एक महत्वपूर्ण अंग है आप अपने आप को समाज का, राष्ट्र का महत्वपूर्ण हिस्सा समझे और अपने पथ पर आगे बढ़े।

महिला अध्ययन केंद्र का ऑडिटोरियम तालियों की गूंज से गूंज उठता है।

सरोज अपना वक्तव्य पूरा करती है और जाने लगती है तभी एक लड़की आकर कहती है ।
 मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं

जी अवश्य बताइए क्या कहना है आपको 

मेरा नाम मंजूलिका है और मैं अख्तर से प्रेम करती हूं और अख्तर मुझे बहुत प्रेम करता है ।

सरोज कहती है " प्रेम नहीं छलावा छलावा"

डॉ प्रेरणा गौड़ 'श्री'


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