डॉ. दीपक को दोहरी ज़िम्मेदारी – इफ्ला के दो प्रोफेशनल सेक्शन – गवरमेंट लाईब्रेरीज़ एवं लाईब्रेरीज सर्विंग पर्सन विद प्रिंट डिसएबिलिटी के स्टेण्डींग कमेटी के सदस्य बने |
भारत की वैश्विक पुस्तकालय नेतृत्व में बढ़ती उपस्थिति को मजबूती देते हुए, डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख एवं संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष, राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा, को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ लाइब्रेरी एसोसिएशंस एंड इंस्टीट्यूशंस ( IFLA) की प्रोफेशनल सेक्शन – राजकीय पुस्तकालय एवं प्रिंट अक्षम व्यक्तियों की सेवा करने वाले पुस्तकालयों की स्थायी समिति के लिए 2025–2029 कार्यकाल हेतु निर्वाचित किया गया है। यह पहला मौका हे जब राजस्थान के किसी सार्वजनिक पुस्तकालय अध्यक्ष को वैश्विक पटल पर जीत मिली | इससे ना केवल देश अपितु हमारे राजस्थान समेत भाषा एवं पुस्तकालय विभाग का गौरव बढ़ा हे |
इफ्ला , जिसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में स्थित है, पुस्तकालय और सूचना सेवाओं तथा उनके उपयोगकर्ताओं के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली विश्व की अग्रणी संस्था है। यह पुस्तकालय एवं सूचना पेशे का वैश्विक स्वर है और नीति निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाती है।
डॉ. श्रीवास्तव का यह चयन भारत की सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उनका कार्यकाल 5 मई, 2025 को इफ्ला की जनरल असेंबली के बाद औपचारिक रूप से आरंभ होगा। वह विश्वभर के पुस्तकालय विशेषज्ञों के साथ मिलकर र्रजकीय पुस्तकालयो एवं प्रिंट अक्षम व्यक्तियों के लिए समावेशी और सुलभ सेवाओं को बढ़ावा देने हेतु नीतियाँ निर्माण करेंगे।
इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए, डॉ. श्रीवास्तव ने कहा:
"इफ्ला का हिस्सा बनना मेरा सपना रहा है। इस वैश्विक मंच का सदस्य बनना मेरे लिए सम्मान की बात है, जहां मैं अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण, सहयोग और पेशेवर विकास के साथ समर्पित सहकर्मियों के बीच काम कर सकूंगा। मैं विशेष रूप से भारत में सार्वजनिक पुस्तकालयों के विकास और सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।"
डॉ. श्रीवास्तव को भारत के अग्रणी नवाचारशील पुस्तकालयाध्यक्षों में गिना जाता है। उन्होंने विशेष रूप से हाशिए पर मौजूद समुदायों और दृष्टिबाधित उपयोगकर्ताओं के लिए सार्वजनिक पुस्तकालयों को समावेशी ज्ञान केंद्रों में बदलने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। उनकी यह वैश्विक नियुक्ति न केवल एक व्यक्तिगत गौरव है, बल्कि भारतीय पुस्तकालय समुदाय के लिए गर्व का विषय है, जो अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माण में भारत की सक्रिय भूमिका को रेखांकित करती है।