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भेद 

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07 Dec 23
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डॉ प्रेरणा गौड़ 'श्री’

भेद 

भेद 


पिछले दिनों की बात है जब मैं दिल्ली कांफ्रेंस के लिए दिल्ली जा रही थी। बेहद खुश थी क्योंकि कॉन्फ्रेंस में स्पीच देना मुझे अच्छा लगता  है। थर्ड क्लास एसी के डिब्बे में रिजर्वेशन कराया गया था । पहले पहल तो सभी एक दूसरे के मुंह ताकते रहे फिर क्या था एक दूसरे से बातचीत होने लगी । मेरी सीट पर एक महिला बैठी थी । जब उसे पता चला की नीचे वाली सीट लोअर बर्थ मेरी है तो उसके चेहरे के हाव-भाव देखकर मुझे लगा कि उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा है ।क्योंकि मिडिल बर्थ उस महिला की थी और लोअर बर्थ मेरी। 
कुछ देर तो हम सब बैठे रहे। ठंड का मौसम था ।अब यात्री सोने की तैयारी करने लगे। ट्रेन के थर्ड एसी कोच में ओढ़ने के लिए कंबल चादर और तकिया मिल ही जाता है। ट्रेन में सबको कंबल चादर तकिया मिल गया। सब अपना अपना कंबल चादर लेकर सोने की तैयारी करने लगे तभी अचानक से वह महिला  तकिया और कंबल लाने वाले को डांटते और फटकारते हुए  कहने लगी “ देखो भैया तुम पहले मेरे लिए अच्छा तकिया लेकर आओ”

अरमान “ मैडम आपको तकिया दे तो दिया है”

तु जरा संभल कर बोल। मुझे अच्छा तकिया चाहिए जल्दी से लाकर दे। तभी टीटी का आना होता है और वह महिला टीटी से कहती है मुझे तकिया चाहिए और यह मेरी बात नहीं सुन रहा है।

अरमान “ सर मैडम को मैंने तकिया लाकर दे दिया है  मैडम को वह तकिया पसंद नहीं है ऐसे में  दोबारा मुझे तकिया लाने को कह रही है  मैंने मैडम से यही कहा है कि मैडम लाकर देता हूं पहले जिन यात्रियों तक तकिया और कंबल नहीं पहुंचे उन्हें  दे देता हूं फिर आपके लिए तकिया लाकर देता हूं” ।

टीटी “ तिलमिलाता हुआ कह उठता है जा तू पहले मैडम को तकिया ला कर दे” 

अरमान “ जी सर ला कर देता हूं”

अरमान महिला को तकिया लाकर देता है

महिला झपटते हुए तकिया लेती है और कह उठती है

“ टीटी ने तुझे बचा लिया वरना कल तक तो तेरी नौकरी तेरे हाथ से चली जाती”

अरमान चला जाता है

अरमान के जाने के बाद वह महिला कहती है
“इन जैसों को सीधा करना मुझे अच्छे से आता है कैसे टीटी को  मैंने अपने पक्ष में कर लिया अभी आने दो फिर से उसे “।

कुछ यात्री उस महिला की हां में हां मिला रहे थे।

कुछ देर बाद अरमान आता है उसे देखकर महिला कहती है “तुम जैसे लोगों को सीधा करना मुझे अच्छे से आता है और ठहाका लगाती है”। 

अरमान कहता है “ मैडम मैंने पहले आपको तकिया ला कर दिया आपको वह तकिया पसंद नहीं आया तो मैं दूसरा भी लाने के लिए तैयार था लेकिन आपने कोच में तमाशा कर दिया ऐसा आपको नहीं करना चाहिए था”

महिला “ चल चल निकल यहां से तेरे जैसे को मैं मुंह नहीं लगाती गरीब कहीं का निकल यहां से” 

यादों के झरोखे से बात याद आई दिल तिलमिला उठा और सवाल करने लगा “ आखिरकार अमीरी और गरीबी में इतना भेद क्यों? क्या इंसानियत अभी भी कहीं बाकी है ?  मनुष्य मनुष्य होकर पशुत्व का भाव क्यों रखता है ?  

 


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