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ाारत एवं माॅरिशस की सांस्कृतिक विविधताऐं ही इन्हें समृद्ध एवं सुदृढ़ बनाती है 

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09 May 25
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- डाॅ. जी. एल. मेनारिया

 

आज तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान चीरवा में माॅरिशस से आए एक अन्तर्राष्ट्रीय कलाविदों के दल का संस्थान निदेशक इतिहासकार डाॅ. जी. एल. मेनारिया, अध्यक्ष डाॅ. चन्द्रकान्त राजपुरोहित, सचिव नवीन मेनारिया, प्राचार्य डाॅ. नीतू मेनारिया और सदस्यों द्वारा उपरणा पहनाकर सम्मानित किया। 

इस अवसर पर नमस्ते इण्डिया इन्टरनेशनल ग्रुप, पुणे के संस्थापक श्री सुधीर एस. सालुंके के साथ आए माॅरिशस के कलाविदों में देव चुड़ामन, कालिन्दी झण्डुसिंह, विताशा गोकुल, पामेला सारामण्डिक, नलिनी नायडु पेरूमल और मालिनी कालीमातू इत्यादि उपस्थित थे। 

उल्लेखनीय है कि तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान द्वारा ‘‘तक्षशिला शोध पत्रिका’’ के प्रथम अंक का विमोचन श्री सुधीर एस. सालुंके द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि यह अंक महाराणा प्रताप विशेषांक के रूप में प्रकाशित एवं डाॅ. जी. एल. मेनारिया द्वारा सम्पादित किया गया है। जिसका शीर्षक ‘‘महाराणा प्रताप महान: एक अजेय सच्चे राष्ट्र नायक की 485वीं जयन्ती का स्वर्णिम स्मृति अंक’’ है। 

प्रारम्भ में इतिहासकार, निदेशक डाॅ. जी. एल. मेनारिया ने भारत और माॅरिशस के मध्य सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत एवं माॅरिशस में सांस्कृतिक विविधता ही इन्हें समृद्ध एवं सुदृढ़ बनाती है। डाॅ. मेनारिया ने यह भी बताया कि हिन्द महासागर, पूर्वी अफ्रीका, पश्चिमी दक्षिणी और दक्षिणी पूर्वी एशिया, इण्डोनेशिया, आॅस्ट्रेलिया को जोड़ने वाले जल एवं वायु मार्गों के कारण व्यापार एवं परिवहन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उदाहरणार्थ संसार में जहाजी टैंकरों से ढ़ोये जाने वाले जहाज ओर्मुज जलडमरू मध्य से होकर गुजरते हैं। प्रति 11 मिनट में एक जहाज इस समुद्री मार्ग से पूर्व एवं पश्चिमी देशों से जुड़े सभी देशों का वाणिज्यिक हित पूरे होते हैं। 

सन् 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हिन्द महासागर को शान्ति क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया। इस हेतु हिन्द महासागर तटीय क्षेत्रीय सहयोग संगठन (हिमत क्षेस) याने सन् 1997 में प्दकपंद व्बमंद त्पउ ।ेेवबपंजपवद थ्वत त्महपवदंस ब्व.वचमतंजपवद ;प्व्त्।त्ब्द्ध का गठन हिन्द महासागर स्थित भारत-माॅरिशस की पहल पर बना। इस संगठन में भारत तथा 13 अन्य हिन्द महासागरीय तटवर्ती देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग में अफ्रीका, आॅस्ट्रेलिया के तटीय देश सम्मिलित है। इसमें आॅस्ट्रेलिया, मलेशिया, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, सिंगापुर, ओमान, यमन, तंजानिया, केन्या, मोजाम्बिक, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका और माॅरिशस संगठक की नींव दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री पिक बायो ने की। जिसकी स्थापना उन्होंने 1993 में भारत यात्रा के समय की थी। 

माॅरिशस के प्रधानमंत्री रामगुलाम के अनुसार हिमत क्षेत्र इस विस्तृत महासागरीय 140 करोड़ लोगों के आर्थिक अन्तःक्रिया को जीवनदान देता है, क्योंकि माॅरिशस जैसे देशों के पास प्रचुर प्राकृतिक संसाधन, बहुमूल्य खनिज, विशाल जनशक्ति।

इस अवसर पर ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के महासचिव डाॅ. अजातशत्रु सिंह शिवरती ने भारत-माॅरिशस की सामरिक, वाणिज्यिक और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के गठबन्धन के महत्व पर प्रकाश डाला। 


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