GMCH STORIES

निष्काम भाव से कर्म करना ही श्रीमदभवदगीता का मूल सूत्र

( Read 3379 Times)

11 Dec 23
Share |
Print This Page

निष्काम भाव से कर्म करना ही श्रीमदभवदगीता का मूल सूत्र

उदयपुर, विप्र वाहिनी के तत्वावधान में शहर के हिरण मगरी स्थित स्वागत वाटिका में सर्व समाज के लिए निशुल्क होने वाली सनातन पाठशाला का आयोजन किया गया।
 विप्र वाहिनी के प्रदेश महासचिव डॉ. विक्रम मेनारिया ने बताया कि आज की पाठशाला का मुख्य विषय श्रीमद् भगवत गीता का चौथा अध्याय "ज्ञान कर्म एवं सन्यास योग" था।
आशीष सिंहल द्वारा अपने प्रबोधन में ज्ञान कर्म एवं सन्यास योग के बारे में विस्तार से बताया।  
 उन्होंने कहा कि निष्काम भाव से काम करना ही इस चराचर जगत के प्रत्येक प्राणी का उद्देश्य होना चाहिए।
इसके पश्चात उपस्थित प्रतिभागियों से जिज्ञासा निवारण एवं विचार विमर्श का सत्र आयोजित हुआ।
सनातन पाठशाला का शुभारंभ गीता आधारित ध्यान से हुआ।
 विप्र वाहिनी के प्रदेश महासचिव डॉ.विक्रम मेनारिया ने प्रेरक गीत "चले-चले हम निशिदिन अविरल, चले-चले हम सतत चले,कर्म करें हम निर्लस पल-पल,दिनकर सम हम सदा जले" प्रस्तुत किया।
 इस अवसर पर गोपाल कनेरिया, डॉ. लोकेश भारती, माया राणावत,अलका राठौड, , इंद्र लाल जोशी, सुदर्शन शर्मा, आर्या राणावत,इत्यादि प्रतिभागी उपस्थित थे। 
पाठशाला का समापन शांति पाठ के साथ हुआ।

 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like