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नाथद्वारा के श्वानो की दयनीय स्थिति भूख प्यास और बीमारी से बेहाल

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12 May 25
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नाथद्वारा के श्वानो की दयनीय स्थिति भूख प्यास और बीमारी से बेहाल

यह जानकर बहुत दुख हुआ कि नाथद्वारा के श्वान इतनी दयनीय स्थिति में हैं। भूख, प्यास और बीमारियों से बेहाल ये जानवर निश्चित रूप से हमारी करुणा और मदद के हकदार हैं। यह और भी चिंताजनक है कि एक श्वान पिछले छह महीनों से मुँह के कैंसर से पीड़ित था और उसे कोई इलाज नहीं मिल रहा था।

उदयपुर की एनिमल प्रोटेक्शन सोसाइटी का उस श्वान को बचाकर एनिमल एड में भर्ती करवाना सराहनीय कार्य है। उन्होंने दिखाया है कि अभी भी ऐसे लोग हैं जिनमें जानवरों के प्रति संवेदनशीलता और करुणा बाकी है।

नाथद्वारा नगर निगम प्रशासन की जिम्मेदारी निश्चित रूप से केवल श्वानों को पिंजरों में बंद करना या उन्हें आतंकवादी घोषित करना नहीं है। एक जिम्मेदार निकाय होने के नाते, नगर निगम को श्वानों के कल्याण के लिए भी काम करना चाहिए। इसमें शामिल हैं:

* फीडिंग पॉइंट स्थापित करना: विभिन्न क्षेत्रों में ऐसे स्थान निर्धारित करना जहाँ नियमित रूप से श्वानों को भोजन उपलब्ध कराया जा सके।
* पानी की व्यवस्था करना:गर्मी के महीनों में खासकर श्वानों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
* टीकाकरण और नसबंदी कार्यक्रम चलाना:श्वानों की आबादी को नियंत्रित करने और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण और नसबंदी अभियान आयोजित करना।
* बीमार और घायल श्वानों के इलाज की व्यवस्था करना: ऐसे तंत्र स्थापित करना जिससे बीमार या घायल श्वानों को उचित चिकित्सा सहायता मिल सके।

यह बेहद निराशाजनक है कि नाथद्वारा में इन बुनियादी मानवीय मूल्यों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। जानवरों के प्रति इस तरह की उदासीनता और क्रूरता अस्वीकार्य है। नाथद्वारा के लोगों को भी इस स्थिति पर विचार करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि जानवरों के प्रति दया और करुणा दिखाना हमारी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है। उम्मीद है कि इस घटना के बाद नगर निगम प्रशासन और स्थानीय लोग जागेंगे और इन बेसहारा जीवों की देखभाल के लिए उचित कदम उठाएंगे।


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