उदयपुर। नवनिर्मित देवाधिदेव 1008 श्री शांतिनाथ जिनालय के तीन दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य समापन सोमवार को मुनि पुण्य सागर महाराज के पावन सानिध्य में मोक्ष कल्याण के साथ प्रातः कालीन बेला मे विविध धार्मिक एवं मांगलिक आयोजनों के साथ हुआ। साथ ही सकल दिगंबर जैन समाज की उपस्थिति में मुनि पुण्य सागर महाराज को आचार्यश्री की उपाधि से अलंकृत किया गया।
आयोजन समिति के सदस्य सुधीर कुमार जैन ने बताया कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन भव्य मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस दौरान शांतिनाथ भगवान के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा, साथ ही सकल दिगंबर जैन समाज की मौजूदगी में विधि विधान के साथ भगवान को निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इससे पूर्व प्रातकालीन वेला में प्रातः 5.30 बजे जाप्यानुष्ठान, 6. बजे अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन तप एवं ज्ञान कल्याणक पूजन हुआ। 7.30 बजे निर्वाण कल्याणक दृश्य, सिद्ध गुणानुरोपण, मोक्ष कल्याणक पूजन पंडित के सानिध्य में विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ। प्रातः 10 बजे भगवान को निर्वाण लड्डु अर्पण, विश्व शांति महायज्ञ, मुनि श्री के आशीर्वचन हुए। इसके बाद भव्य शोभायात्रा निकल गई जो मंदिर से प्रारंभ होकर सेक्टर 9 के विभिन्न क्षेत्रों में होती हुई पुणे मंदिर पहुंची।
जैन ने बताया कि मध्यान्ह 12 बजे जिनबिम्ब स्थापना का महोत्सव संपन्न हुआ। जिसमें समाज जनों में बढ़ चढ़कर भाग लिया।
चातुर्मास के लिए विनती- सकल दिसंबर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत के नेतृत्व में संपूर्ण दिगंबर जैन समाज, सभी समाजों के अध्यक्षों, संपूर्ण महिला मंडल एवं सभी मंदिरों के अध्यक्षों के साथ सकल दिगंबर जैन समाज की मौजूदगी में मुनि श्री पुण्य सागरसागर महाराज के श्री चरणों में विनती एवं श्रीफल अर्पित कर चातुर्मास 2025 का भव्य आयोजन हिरण मगरी सेक्टर 11 में करने की विनती की। इस दौरान वेलावत ने मंच से चातुर्मास के लिए संपूर्ण सकल दिगंबर जैन समाज के मन की भावनाएं गुरुदेव के समक्ष जाहिर की। साथ ही उन्होंने उन भावनाओं का वाचन भी किया। राजेश देवड़ा ने मुनिश्री पुण्यसागरजी महाराज का जीवन वृतांत सुनाया।
मुनीश्री पुण्य सागर जी को मिला आचार्य पद-हिरण मगरी सेक्टर 9 में आयोजित पंच कल्याण महोत्सव के अंतिम दिन सकल दिगंबर जैन समाज ने पूर्ण हर्ष उल्लास एवं उत्साह के साथ मुनि श्री पुण्य सागर महाराज को आचार्य पद से अलंकृत किया। सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से सकल दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने जब मुनि श्री पुण्य सागर महाराज को मंच से आचार्य पद से अलंकृत करने का उद्घोष किया तो संपूर्ण पांडाल गुरुदेव के जयकारों और नमोस्तु गुरुदेव नमोस्तु गुरुदेव से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। वहां उपस्थित सकल दिगंबर जैन समाज खुशी से झूमने लगा।
मुनि श्री को आचार्य श्री की पदवी से अलंकृत करने के बाद उन्हें प्रथम पिच्छी भेंट करने की भी होड़ लग गई। इस दौरान एक से बढ़कर एक बोलियां भी लगी। 11 सबसे ज्यादा बोली लगाने वालों को मुनिश्री को प्रथम पिच्छी भेट करने का सौभाग्य सुरेश वजावत को मिला। इसी तरह आचार्य श्री का प्रथम पद प्रक्षालन का सौभाग्य पदम,राजेश, शीतल रत्नावत, प्रथम शास्त्र भेंट का पुण्य लाभ पारस चित्तौड़ा को मिला। इस दौरान आचार्य श्री का अष्टद्रव्यो से अभिषेक भी किया गया।
सघस्थ मुनिश्री ने इस पुनीत अवसर पर कहा कि मुनीश्री पुण्य सागर जी महाराज को आचार्य पद तो 20 साल पहले ही मिल जाना चाहिए था लेकिन हर कार्य के संपादित होने का एक समय निश्चित होता है। कोई भी शुभ कार्य हो वह जब योग होता है तब ही होता है। उदयपुर वालों का सौभाग्य है कि उन्हें को आचार्य श्री के पद से अलंकृत करने का पुण्य लाभ मिला।