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चातुर्मास परिवर्तन के साथ निकला तपस्वियों का वरघोड़़ा

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06 Nov 25
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चातुर्मास परिवर्तन के साथ निकला तपस्वियों का वरघोड़़ा


उदयपुर। सूरजपोल दादाबाड़ी स्थित वासूपूज्य मंदिर में पंचान्हिका महोत्सव के चैथे दिन गुरूवार को साध्वी वीरलप्रभाश्रीजी म.सा., साध्वी विपुल प्रभाश्री जी म.सा एवं साध्वी कृतार्थ प्रभाश्रीजी म.सा. की निश्रा में गाजे बाजे के साथ तपस्वी का भव्य वरघोडा, श्रेणी उपवास के तपस्वी का पारणा एवं भावुक पलों में अश्रु धारा के साथ चातुर्मास परिवर्तन जैसे भव्य आयोजन हुए। आयोजनों के मुख्य अतिथि उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन थे।
अध्यक्ष राज लोढ़़ा एवं सचिव दलपत दोशी ने बताया कि प्रात 8.30 बजे सूरजपोल दादाबाड़ी स्थित वासुपूज्य जी मंदिर से गाजे बाजे और बग्घी के साथ तपस्वी का वरघोड़ा रवाना हुआ। वरघोड़े में सैकड़ों श्रावक श्राविकाएं पूर्ण भक्ति भाव के साथ भक्ति नृत्य करते हुए चल रहे थे। श्रावक जहां सफेद वस्त्र के साथ सिर पर चुनरी सफा बाधे हुए थे वहीं श्राविकाएं विशेष परिधानों में सजी-धजी भक्ति गीत एवं गीत गाते हुए गुरु वंदना करती चल रही थी। वरघोड़े की भव्य शोभायात्रा दादाबाड़ी से चंपालाल धर्मशाला, सूरजपोल चैराहा, बापू बाजार के साथ विभिन्न मार्गो से होते हुए पुनरू वासु पूज्य मंदिर पहुंची। यहां श्रावक श्राविकाओं गुरु वंदना के साथ खूब भक्ति नृत्य किये।
वरघोड़ा ज्योही दादावाड़ी स्थित वासुपूज्य मंदिर में पहुंचा तो श्रेणी तपस्या करने वाले तपस्वी विपुल प्रभाश्रीजी म.सा. को श्राविकाओं ने हाथों का झूला बना कर गोद में उठा लिया। इस दौरान उनकी भक्ति गीतों के साथ खूब वंदना की। श्राविकाओं ने माथे पर छोटे कलश लेकर तपस्वी की परिक्रमा कर गुरु भक्ति को दर्शाया।
इसके बाद हुई धर्म सभा में शहर विधायक ताराचंद जैन ने कहा कि चातुर्मास के दौरान जो धर्म आराधना साधना और तपस्या होती है उससे हमारे मन के कुविचार और कषाय दूर होते हैं। हम सभी को धर्म मार्ग की प्राप्ति होती है। गुरु के प्रवचनों के माध्यम से  हम अपने जीवन चारित्र्य और अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं। चातुर्मास का होना और उसमें गुरुओं से मिलना यह हम सभी के लिए सौभाग्य की ही बात होती है।
धर्म सभा में अध्यक्ष राज लोढ़ा ने कहा कि चतुर्मास काल के दौरान तप साधना प्रभु आराधना एवं गुरू वंदन के कई भव्य आयोजन हुए। सभी श्रावक श्राविकाओं के सहयोग से संघ इस चातुर्मास को ऐतिहासिक एवं भव्य बनाने में सफल रहा। इसके लिए उन्होंने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहां कि चातुर्मास काल के दौरान अगर कोई छोटी-मोटी भी भूल चूक किसी के साथ हुई है तो वह मिच्छामी दुक्कडम करके सबसे क्षमा याचना करते हैं।
धर्म सभा के दौरान महिला परिषद की कार्यकर्ताओं ने भजनों एवं धार्मिक गीतों की संगीतमयी प्रस्तुतियां देते हुए खूब भक्ति नृत्य किए एवं गुरु वंदना की।
धर्म सभा में विरलप्रभाश्रीजी एवं कृतार्थ प्रभाश्रीजी ने श्रावकों से कहा कि आप लोग बोलते हैं कि आज चातुर्मास के लिए साधु सन्तों का प्रवेश हो रहा है और चातुर्मास के बाद बोलते हैं कि आज चातुर्मास परिवर्तन हो रहा है जबकि असल में ना तो चातुर्मास के लिए सन्तों का प्रवेश होता है और ना ही उनका चातुर्मास परिवर्तन होता है। क्योंकि सन्तों को ना तो प्रवेश की जरूरत होती है और ना ही परिवर्तन की। चातुर्मास के दौरान प्रवेश तो श्रावकों में धर्म का होता है और परिवर्तन आपके जीवन में और जीवन का होता है। स्वयं को अध्यात्म से जोड़ोगे तो अपनी आत्मा का परिवर्तन अपने आप हो जाएगा। उन्होंने श्रावकों को अपने पाप कर्मों से मुक्ति के लिए प्रेरणा दी कि रोजाना  कम से कम दो बार प्रतिक्रमण अगर आप कर लेते हैं तो आपके पापों का प्रायश्चित भी हो जाएगा औा पाप कर्मों से मुक्ति भी मिल जाएगी और फिर से आपकी आत्मा का शुद्धिकरण हो जाएगा। साधना के लिए हम शरीर को तपाते हैं लेकिन जब तक आत्मा नहीं तपेगी आपकी साधना पूर्ण नहीं होगी और जब तक साधना पूर्ण नहीं होगी तो उसका फल भी आपकों प्राप्त नहीं हो पाएगा। धर्म सभा का संचालन प्रकाश नागौरी ने किया ।


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