चंडीगढ़ में आयोजित भारतीय मनोचिकित्सा सोसायटी नार्थ जोन (IPS-NZ) के 50वें वार्षिक सम्मेलन में गीतांजलि मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के मनोचिकित्सा विभाग के डॉ छायांक आचार्य को उत्तर भारत के सर्वोच्च सम्मान “आर.के. सोलंकी अवॉर्ड” तथा “बॉम्बे साइकिएट्रिक सोसायटी सिल्वर जुबली अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया।
यह अवार्ड उनके और डॉ. जितेन्द्र जीनगर, डॉ. अंजली शर्मा और डॉ. तनमय पटेल द्वारा किये गए शोध “अनाथ और गैर-अनाथ किशोरों में भावनात्मक एवं व्यवहारिक समस्याओं, दुर्व्यवहार, अनुभूत तनाव एवं आत्म-सम्मान की व्यापकता: एक तुलनात्मक अध्ययन” पर मिला ।
शोध में सामने आया कि अनाथ किशोरों में भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याएं गैर-अनाथ किशोरों की तुलना में कहीं अधिक थीं। लगभग 47.8% अनाथ किशोरों में इन समस्याओं की उपस्थिति दर्ज की गई, जबकि गैर-अनाथ समूह में यह केवल 6.1% थी। इसी प्रकार, अनाथ किशोरों में भावनात्मक कठिनाइयाँ (45.3%) और सहकर्मी संबंधी कठिनाइयाँ (55.3%) भी उल्लेखनीय रूप से अधिक रहीं। लगभग 11% अनाथ किशोरों में तनाव का स्तर अत्यधिक पाया गया, जबकि गैर-अनाथ समूह में यह केवल 0.6% था। आत्म-सम्मान के स्तर में भी बड़ा अंतर देखा गया 60.2% अनाथ किशोरों में आत्म-सम्मान की कमी पाई गई एल, जबकि गैर-अनाथों में यह 28% था। अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ कि बाल्यकालीन दुर्व्यवहार का संबंध भावनात्मक कठिनाइयों और तनाव में वृद्धि से तथा सकारात्मक सामाजिक व्यवहार एवं आत्मसम्मान में कमी से है।
यह शोध इस तथ्य को रेखांकित करता है कि अनाथ किशोर मानसिक और भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील होते हैं और उनके समग्र विकास के लिए विशेष मनोवैज्ञानिक सहयोग एवं देखभाल की आवश्यकता है।