उदयपुर। आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के वर्ष 1972 बैच के चिकित्सकों का दो दिवसीय रियूनियन कार्यक्रम डबोक स्थित रुपीज़ रिसॉर्ट में गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया। यह आयोजन पेसिफिक मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एम. एम. मंगल, और डॉ. आशा खमेसरा एवं डॉ. उमा मेहता के मार्गदर्शन और निर्देशन में संपन्न हुआ।
रियूनियन में देश-विदेश से लगभग 50 वरिष्ठ चिकित्सकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान पुराने सहपाठियों ने अपने छात्र जीवन की स्मृतियों को साझा किया तथा चिकित्सा क्षेत्र में अपने अनुभवों पर विचार-विमर्श किया। आयोजन का उद्देश्य आपसी स्नेह, सहयोग और सामाजिक सरोकारों को सुदृढ़ करना रहा।
कार्यक्रम के अंतिम दिन, 21 दिसंबर को प्रातःकालीन सत्र में विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर विशेष ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में पेसिफिक यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ योगिक साइंस की सहायक आचार्य डॉ. शुभा सुराणा ने ध्यान का गहन अभ्यास कराया। सभी उपस्थित चिकित्सकों ने पूरे मनोयोग से ध्यान अभ्यास में भाग लिया।
इस अवसर पर डॉ. शुभा सुराणा ने ध्यान की बारीकियों, उसके मानसिक, शारीरिक एवं आत्मिक प्रभावों की उपनिषदों के संदर्भ में व्याख्या की। उन्होंने बताया कि ध्यान न केवल तनाव से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आत्मिक जागरूकता और संतुलन भी प्रदान करता है। उनके विचारों और मार्गदर्शन से प्रभावित होकर उपस्थित सभी चिकित्सकों ने उनकी सराहना की। इस अवसर पर उपस्थित डॉक्टरों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि चिकित्सा सेवा के लंबे और व्यस्त जीवन में योग ने उन्हें सदैव ऊर्जा और संतुलन प्रदान किया है। उनका मानना है कि आज की युवा पीढ़ी को भी योग को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। वरिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक वैज्ञानिक और प्रभावी पद्धति है।
दो दिवसीय रियूनियन कार्यक्रम सौहार्दपूर्ण वातावरण, अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। आयोजकों ने भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन करते रहने की आवश्यकता पर बल दिया। आयोजन के अंत में सभी ने यह संकल्प लिया कि वे स्वयं नियमित रूप से योग करेंगे तथा अपने परिवार, मित्रों और समाज को भी योग अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे। यह आयोजन इस बात का प्रेरणादायक उदाहरण बना कि स्वस्थ शरीर और शांत मन के लिए योग को जीवन में अपनाना कितना आवश्यक है।
आर एन टी मेडिकल कॉलेज के इन वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा किया गया यह प्रयास निश्चित रूप से समाज के लिए प्रेरणास्रोत सिद्ध होगा और योग के प्रति जन-जागरूकता को नई दिशा देगा।