उदयपुर। गीतांजलि इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज , उदयपुर में अखिल भारतीय तकनिकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) –एटल अकादमी के प्रायोजन से “ ए आई - पॉवर्ड इमिजिनेशन : एक्सप्लोरिंग बॉउंड्रीज़ ऑफ़ जनरेशन मॉडल्स " पर छह दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों एवं उद्योग जगत के अनुभवी विशेषज्ञों ने अपने अपने ज्ञान को साझा किया ।
संस्थान के निदेशक डॉ एस एम प्रसन्ना कुमार ने बताया कि जेनरेटिव एआई जैसी उभरती तकनीकों पर इस प्रकार के कार्यक्रम शिक्षकों को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बनाते हैं, बल्कि उनके शिक्षण, शोध और नवाचार को भी नई दिशा प्रदान करते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत ऑटोएन्कोडर्स, डिफ्यूजन मॉडल्स एवं जी ए न आर्किटेक्चर जैसी मूलभूत अवधारणाओं से हुई। इसके साथ ही इंटेलिजेंट विज़न मॉडल्स के लिए सी एन एन आधारित जेनरेटिव एआई, सी आई एफ ए आर डेटासेट पर हैंड्स-ऑन इम्प्लीमेंटेशन, नेचर-इंस्पायर्ड ऑप्टिमाइजेशन तकनीकें जैसे स्पाइडर मंकी ऑप्टिमाइजेशन एवं आर्टिफिशियल अल्गोरीथियम पर सत्र आयोजित किए गए।कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं के रूप में टेक्सास स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए से डॉ. हीना राठौड़, (यूएसए) से श्री राहुल अग्रवाल, राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा से डॉ. हरीश शर्मा, एमबीएम यूनिवर्सिटी जोधपुर से प्रो. डॉ. आलोक सिंह गहलोत, मणिपाल यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु से डॉ. शालीन भटनागर, रेवा यूनिवर्सिटी बेंगलुरु से डॉ. अमृत राव पुरोहित, जी एच राय सोनी कॉलेज नागपुर से डॉ. सारिका खंडेलवाल, कडेल लैब्स से श्री गिरीश आमेटा,ओ नाइन सॉल्यूशंस से सुश्री आकांक्षा जैन, सिएरा-सीडर तथा सिक्योर मीटर्स प्रा. लि. से सुश्री सोनिया केसवानी शामिल रहीं।
कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ मयंक पटेल के अनुसार इस एफ डी पी में एजेंटिक एआई एवं ऑटोनॉमस डिजिटल वर्कर्स, हेल्थकेयर में जेनरेटिव एआई के अनुप्रयोग, सप्लाई चेन में जोखिम एवं मांग पूर्वानुमान, क्लाउड आधारित एंटरप्राइज सिस्टम्स के साथ साथ एल एल एम के एकीकरण तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ढांचे पर भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गईं।कार्यक्रम में देश के 50 शहरों से कुल 240 फैकल्टी मेंबर्स सम्मलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन डॉ रूचि व्यास द्वारा किया गया। इस अवसर पर वित्त नियंत्रक बी एल जागिंड ने कहा कि इस एफडीपी का सफल आयोजन संस्थान की दूरदर्शी सोच और मजबूत एकेडेमिक योजना का परिणाम है। सीमित संसाधनों में भी उच्च गुणवत्ता वाला राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित करना प्रशंसनीय है। इस प्रकार के कार्यक्रम संकाय सदस्यों के कौशल विकास के साथ-साथ संस्थान की प्रतिष्ठा को भी सुदृढ़ करते हैं।