उदयपुर। गीतांजली हॉस्पिटल ने जटिल परिस्थितियों में सुरक्षित मातृत्व का एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश करते हुए 35 वर्षीय सिरोही निवासी गर्भवती महिला और उसके प्री-टर्म शिशु को सफलतापूर्वक जीवनदान दिया। यह सफलता डॉ. अर्चना शर्मा (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ), न्यूरो सर्जन डॉ. गोविंद मंगल तथा नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. सुशील गुप्ता, एनेस्थिसियोलोजिस्ट डॉ अलका छाबड़ा, डॉ पूजा व टीम के समन्वित प्रयासों से संभव हुई ।
23 सप्ताह की गर्भावती में सिर में गंभीर चोट लगने के बाद महिला को एक बड़े स्थानीय निजी हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार दिया गया, वहाँ से परिजनों ने उन्हें अहमदाबाद के निजी हॉस्पिटल ले गये। महिला की गंभीर अवस्था को देखते हुए वहाँ परिजनों को बच्चे को टर्मिनेट करने की सलाह दी गई। लेकिन परिवार अजन्मे बच्चे को इस दुनिया में लाने के अपने दृढ़ निश्चय के साथ आशा लेकर गीतांजलि हॉस्पिटल पहुँचा—और यहीं से शुरू हुई नई जिंदगी की कहानी।
गीतांजली हॉस्पिटल पहुँचने पर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने परिवार को भरोसा दिलाया कि न्यूरो और प्रसूति व स्त्री रोग विभाग मिलकर माँ और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास करेंगे। रोगी को न्यूरो सर्जन डॉ. गोविंद मंगल के अंतर्गत भर्ती किया गया, वहीं स्त्री एवं प्रसूति विभाग की डॉ. अर्चना शर्मा व उनकी टीम ने गर्भावस्था को सुरक्षित अवधि तक पहुँचाने की चुनौती अपने हाथ में ली।
चूँकि 23 सप्ताह में डिलीवरी जीवन के लिए अत्यधिक जोखिमपूर्ण थी, इसलिए लगभग 2 महीने तक न्यूरो और स्त्री व प्रसूति रोग विभाग ने संयुक्त रूप से रोगी की सतत निगरानी और इलाज किया। गर्भस्थ शिशु के फेफड़ों के विकास के लिए एंटीनेटल स्टेरॉयड (ANS) की दो खुराकें दी गईं—पहली भर्ती के समय और दूसरी 15 दिन बाद दी गयी|
आखिरकार, माँ की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए 30 सप्ताह की गर्भावस्था में माँ के चिकित्सीय कारणों से सुरक्षित रूप से ऑपरेशन (LSCS) कर शिशु का जन्म कराया गया। प्री-टर्म होने के कारण नवजात की संपूर्ण देखभाल नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. सुशील गुप्ता और उनकी टीम ने अत्यंत कुशलता के साथ की।
गीतांजली हॉस्पिटल की मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच—जिसमें न्यूरो सर्जरी, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग और नियोनेटोलॉजी विभागों का उत्कृष्ट समन्वय शामिल है—ने एक अत्यंत जटिल केस को सफलतापूर्वक संभालते हुए माँ और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा।
डॉक्टरों ने बताया कि समय पर मिला उपचार, लगातार निगरानी और विशेषज्ञ चिकित्सा हस्तक्षेप ने ही इस चुनौतीपूर्ण केस में जीवन बचाया। वर्तमान में माँ और शिशु दोनों पूर्णतः स्वस्थ हैं।
यह सफलता गीतांजली हॉस्पिटल की उन्नत सुविधाओं, विशेषज्ञता और ‘पेशेंट-फर्स्ट एप्रोच’ को और मजबूती से साबित करती है।