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जब तक संविधान को नहीं समझेंगे तब तक न्याय मिलना मुश्किल है: ओहोल

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26 Nov 25
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जब तक संविधान को नहीं समझेंगे तब तक न्याय मिलना मुश्किल है: ओहोल

उदयपुर। भारतीय कर्मचारी संघ, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी. आर, ओहोल ने कहा कि हम संविधान की रक्षा तब कर पाएंगे जब हम संविधान को समझेंगे। जब तक सामाजिक और आर्थिक समानता नहीं मिलती तब तक समाज में अविश्वास, पूर्वाग्रह, तनाव और संघर्ष बना रहेगा। इसके लिए सरकारों को उस सर्वहारा वर्ग पर ध्यान देना होगा जो आज भी पिछडेपन का शिकार है।
श्री ओहोल बुधवार को यहां एमबी हॉस्पीटल के न्यू ऑडिटोरियम में संवैधानिक अधिकार जनजागृति संस्थान, सर्व बहुजन, मूलनिवासी, आदिवासी.पिछड़ा अल्पसंख्यक समाज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 76वां संविधान दिवस समारोह को मुख्य वक्ता के रुप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रिटायर्ड आईएएस ताराचंद मीणा थे जबकि प्रांरभ में संगठन के संस्थापक अध्यक्ष गणेश लाल रायकवाल ने अध्यक्षता की। रायकवाल ने अपने उद्बोधन में सभी अतिथि व आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि सरकारों ने संविधान दिवस मनाने के बारे में कभी नहीं सोचा। लेकिन जब हमारे जैसे संगठन आए तो सरकारों को भी इस बारे में सोचना पड रहा है। प्रो सुधा चौधरी ने कार्यक्रम के उद्घाटक के रुप में उद्बोधन दिया। प्रारंभ में संगठन के अध्यक्ष गणेश लाल रायकवाल, उपाध्यक्ष सुख संपत बागडी, महासचिव बाबूलाल घावरी, कोषाध्यक्ष अंबालाल सालवी व संयोजक प्रो आमोस मीणा व मीडिया प्रभारी एडवोकेट पीआर सालवी ने अतिथियों का स्वागत किया। संवैधानिक अधिकार जनजागृति संस्थान के मीडिया प्रभारी एडवोकेट पी.आर.सालवी ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। अतिथियों द्वारा संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के तस्वीर माल्यार्पण व केण्डल प्रज्वलित करने के साथ समारोह का शुभारंभ हुआ।
श्री ओहोल ने कहा कि आज सर्वहारा वर्ग के पिछडेपन का कारण हर वह व्यक्ति है जिसने संविधान को समझने और उसी रुप क्रियान्वित करने व कराने की जहमत नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि यह विडम्बना रही कि भारत का संविधान 1950 से अब तक उन हाथों में रहा जो खुद संविधान विरोधी रहे। इसमें केवल राजनीतिक मुखोटे बदलते रहे। बाबा साहेब अंबेडकर ने सामाजिक और आर्थिक विषमता खत्म करने के उद्देश्य से संविधान की रचना की। उनके तीन बडे उद्देश्य थे। अश्पृश्यता नष्ट करना, शासन करती जमात बनाना और न्याय, स्वतंत्रता, बनधुता, समता व वैज्ञानिक रुप से स्वयं को विकसित करना। लेकिन प्रभावशाली राजनीतिक दलों और लोगों ने इसे सही तरीके से लागू ही नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि संविधान लागू होने से पूर्व जिस व्यवस्था की वजह से जो अधिकार सर्वहारा वर्ग से छीने थे वे बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान बनाकर वापस लौटाए, लेकिन आज भी सर्वहारा वर्ग वहीं का वहीं खडा है। न तो उसे राजनीतिक समानता मिली और नहीं आर्थिक। उन्होंने चेताते हुए कहा कि राजनीति में हमें गुमराह नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब तक हम स्वयं संविधान को नहीं पढेंगे और शहीं समझेंगे तब तक अन्याय होता रहेगा।
प्रो सुधा चौधरी ने कहा कि बाबा साहब अकेले चले थे और उन्होंने जितना संघर्ष हमारे लिए किया वह आज की पीढी को याद रखना चाहिए। उन्होंने सर्वहारा वर्ग को जीवन जीना सीखाया और एक ऐसा दस्तावेज समर्पित किया जिसने लाखों लोगों का सपना साकार किया। उन्होंने कहा कि आज के वक्त में पाखंड व सामंतवाद को समझने की जरुरत है। राष्ट्रीय बहुजन प्रचारक जनाब रईस मलिक उपस्थित लोगों से कहा कि अब एक वोट की कीमत समझनी होगी। एक वोट जो मुकेश अंबानी से लेकर देश के सामान्य से सामान्य व्यक्ति को एक ही ताकत व कीमत देता है। केवल वोट से हम भारत के संविधान को बचा सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से बहुजन ही बहुजन का खात्मा करने में लगा है। हम ऐसे लोगों को संसद में भेज रहे हैं जो खुद संविधान के लिए खतरा है। सीपीआई एमएल के सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि विडम्बना है कि हमें ऐसे विषय पर कार्यक्रम करना पड रहा है जिससे देश संचालित हो रहा है। मुख्य अतिथि ताराचंद मीणा ने भी संविधान को सही तरीके से लागू करने के लिए संविधान विरोधी ताकतों से एक साथ मिलकर लडने पर जोर डाला और कहा कि जब तक हम एक नहीं होंगे तक तक ऐसी ताकते सत्ता पर शासन करती रहेगी।
 कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट सत्येन्द्र पाल सिंह छाबड़ा, मुख्तयार कुरेशी अन्जुमन तालिमुल इस्लाम उदयपुर संगठन के कार्यकारिणी सदस्य बिशप डॉ बेन्जामिन जी डोडियार, रेव्हण् सनी एस. कुमार प्रेस्बिटेरियन इंचार्ज चर्च, सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण मेघवाल, धर्मेंद्र राजोरा, एडवोकेट अरुण व्यास, एडवोकेट पीआर सालवी सहित बडी संख्या में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोग उपस्थित थे। संचालन महासचिव बाबूलाल घावरी व संयोजक आमोस मीणा ने किया व धन्यवाद सुख सम्पत बागड़ी मीणा ने दिया।


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