गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राम मंदिर का संपूर्ण रूप में तैयार होना भारतीय सभ्यता के इतिहास में एक नया अध्याय है। यह केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, आस्था, संघर्ष, विश्वास और सम्मान का संपूर्ण उत्थान है। सदियों की प्रतीक्षा, संघर्ष और समर्पण के बाद आज अयोध्या का यह मंदिर करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र बन चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मन्दिर पर ध्वजा लहराने के साथ वह आयोजित समारोह को संबोधित किया।
अयोध्या अब एक ऐसी नगरी है, जहाँ आस्था और विकास दोनों हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ रहे हैंऔर रामलला अब अपने योग्य सिंहासन पर विराजमान हैं।
अयोध्या अब विश्व पर्यटन पर अपना एक अलग
स्थान रखता है।अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर अब पूर्णता को प्राप्त हो चुका है। पाँच सौ वर्षों से अधिक लंबे संघर्ष, अथाह जन-आस्था और करोड़ों लोगों के भावनात्मक समर्पण के बाद यह ऐतिहासिक स्वप्न साकार हुआ है। यह केवल एक धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना, आध्यात्मिक शक्ति और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बनकर उभरा है। "राम मंदिर का संपूर्ण होना" करोड़ों भारतीयों के लिए एक युगांतकारी क्षण है, जिसने इतिहास, राजनीति, समाज और आध्यात्मिकता—सभी को एक सूत्र में पिरो दिया है।राम मंदिर की पूर्णता का क्षण सदियों के संघर्ष का परिणाम है। इतिहास साक्षी है कि अयोध्या मंदिर विवाद केवल भूमि के स्वामित्व का प्रश्न नहीं था, बल्कि यह करोड़ों लोगों की भावनाओं, आस्था और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के प्रति समर्पण से जुड़ा मुद्दा था।
9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने इस संघर्ष को न्यायिक समाधान प्रदान किया और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह निर्णय देश की लोकतांत्रिक परंपरा, न्याय-व्यवस्था और सामूहिक विश्वास का ऐतिहासिक परिणाम था। 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किया गया, जो आधुनिक भारत के इतिहास में एक अविस्मरणीय क्षण बन गया। उसके बाद मंदिर निर्माण अद्भुत गति से आगे बढ़ा, जिसमें देशभर की तकनीक, इंजीनियरिंग कौशल और वास्तु-विशेषज्ञों का योगदान रहा।
22 जनवरी 2024 को जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई, तब पूरा देश दीपावली की तरह जगमगा उठा। लेकिन मंदिर का सम्पूर्ण निर्माण उस दिन से आगे बढ़ता रहा—मुख्य गर्भगृह, परिक्रमा, प्रदक्षिणा मार्ग, उत्तर और दक्षिण मंडप, संग्रहालय, आध्यात्मिक केन्द्र, यज्ञशाला और गर्भगृह के ऊपर का भव्य शिखर—सभी चरणों को पूरा होने में समय लगा।अब यह विशाल परिसर अपने संपूर्ण वैभव के साथ श्रद्धालुओं के लिए तैयार है।
पूर्ण रूप में तैयार हुआ राम मंदिर भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है।मंदिर नागर शैली में बना है,इसमें 360 से अधिक नक्काशीदार स्तंभ है। मुख्य मंदिर 240 मीटर लंबा और 161 फीट ऊँचा है, इसमें विशाल शिलाओं पर उकेरी गई दैवी आकृतियाँऔर गुलाबी बलुआ पत्थर की सौम्यता यह सब मिलकर मंदिर को दिव्यता का अद्भुत रूप प्रदान करते हैं।गर्भगृह में स्थित पाँच वर्ष की बाल-रूप रामलला की मूर्ति भक्तों को शांत, निर्मल और अद्वैत भाव की अनुभूति कराती है।मंदिर के चारों ओर विशाल परिक्रमा मार्ग, रामकथा गैलरी, सरयू तट पर विकसित घाट और आध्यात्मिक पथ गृह इस परिसर को एक विश्वस्तरीय धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र बना देते हैं।
राम मंदिर के पूर्ण होने के साथ ही अयोध्या का स्वरूप भी बदल चुका है। आधुनिक सुविधाएँ, चौड़ी सड़कें, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, नए घाट, विश्वस्तरीय सुविधाएँ—सब कुछ इस पवित्र नगरी को वैश्विक धार्मिक पर्यटन के एक प्रमुख केंद्र में बदल चुका है।लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन कर रहे हैं,स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग और हस्तशिल्प में भारी वृद्धि हुई,अयोध्या अब सांस्कृतिक-धार्मिक कार्यक्रमों का केंद्र बना है।
यह परिवर्तन विकास और आस्था—दोनों का संतुलन प्रस्तुत करता है।
राम मंदिर का पूर्ण होना किसी समुदाय या समूह की जीत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनः जगाने वाला क्षण है।
भगवान राम भारतीय जीवन-दर्शन के केंद्र में हैं—
वे धर्म के प्रतीक हैं,न्याय के आदर्श हैं,मर्यादा के मार्गदर्शक हैं। राम मंदिर इस मर्यादा, न्याय और कर्तव्य के दर्शन को विश्व के समक्ष स्थापित करता है और देश विदेश के सैलानियों के लिए एक नया धार्मिक पर्यटन स्थल बन गया है।