हमें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास दिलाता है संविधान
विद्यापीठ में संविधान कक्ष व संविधान पार्क का निर्माण नये वर्ष में
उदयपुर / भारतीय संविधान दिवस पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को प्रतापनगर स्थित कुलपति सचिवालय के सभागार में संविधान जानो विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि कहा कि भारतीय संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि राष्ट्र की आत्मा और आधुनिक राष्ट्र निर्माण का आधार है। हम भाग्यशाली है कि हमारे पास सबसे मजबूत संविधान है, हमारा संविधान दूनिया का सबसे लम्बा हस्त लिखित संविधान है संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य अपने मौलिक अधिकारों के प्रति सजग करना। मूल रूप से इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचिया और 22 भाग है। समय के साथ संशोधनोे के बाद आज इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचिया और 25 भाग है। संविधान की मूल प्रति हाथ से लिखी गयी है। इसका श्रेय प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को जाता है। इसे बनाने में 02 साल , 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। इसे बनाने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही जिसमें उस समय भारत को एक ऐसे कानून की जरूरत थी जो देश में रहने वाले लोग, विभिन्न धर्मो के बीच एक समानता और एकता दिला सके। भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर, 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 125 वें जयंति वर्ष के रूप में 26 नवम्बर, 2015 से हर वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। संविधान दिवस हमें स्वतंत्र भारत का नागरिक होने का अहसास दिलाने के साथ संविधान में लिखित हमारे मौलिक अधिकारों की याद दिलाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए नव वर्ष मंें विद्यापीठ में भव्य संविधान कक्ष व संविधान पार्क के कार्य का शुभारंभ किया जायेगा। यह एक नागरिक होने के नाते हमें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास कराता है। संविधान किसी भी देश की रीढ़ होती है।
स्कूली शिक्षा से हो संविधान की जानकारी - बीएल गुर्जर
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि संविधान की जानकारी स्कूली शिक्षा से ही पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को दी जानी चाहिए। आमजन को संविधान में लिखित मूल अधिकारों को समझना होगा, ताकि लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ सके, इस देश में सभी नागरिकों के अधिकार समान है। ऐसे में हम अगर कुछ भी हासिल करना चाहते है, तो इसके लिए हमें देश के नागरिकों को शिक्षित व अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा। उन्होने कहा कि अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी पूरी तरह से पालन करना होगा तभी देश उन्नति की राह पर अग्रसर होगा। आज देश में न्याय में देरी चिंता का विषय है इस ओर भी गंभीरता के साथ विचार करने की आज महती आवश्यकता है।
संचालन एवं आभार अधिष्ठाता प्रो. सरोज गर्ग ने किया।
इस अवसर पर प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. एसबी नागर, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड, डॉ. विवेक भटनागर, डॉ. दिनेश श्रीमाली, डॉ. शिल्पा कंठालिया, डॉ. आशीष नंदवाना, डॉ. कुलशेखर व्यास, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. मोहसीन सहित डीन, डायरेक्टर एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।