विद्यार्थी गांवों की समस्या जान, करायेंगे समाधान
ग्रामीण पलायन रोकने की सबसे बड़ी जरूरत - प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर / राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से सिरोही स्थित पावापुरी विजय पताका धाम में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आयोजित तीन दिवसीय आवासीय वनशाला शिविर के 600 विद्यार्थियों के दल को शनिवार को कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. अमी राठौड़, डा. सुनिता मुर्डिया, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. भुरालाल श्रीमाली ने हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया।
प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि आवासीय शिविर से विद्यार्थियों में टीम वर्क भावना, आत्मविश्वास एवं एक दूसरों को मदद करने की प्रेरणा मिलती है ये दिन जीवनभर याद रहते है। उन्होंने देश की आत्मा गांवों में निवास करती है, जहॉ हमारी भारतीय, संस्कृति एवं परम्परा की झलक देखने को मिलती है और उन्हीं ने इसे बचाये रखा है लेकिन आधुनिकीकरण के साथ गांवों का शहरों की ओर पलायन शुरू हो गया, आज आवश्यकता है इसे रोकने की। इसके लिए ग्रामीण स्तर पर ही रोजगार के अवसर मुहैया कराने होंगे। युुवा पीढ़ी को कौशल विकास के पाठ्यक्रमों के साथ शिक्षण दीक्षण देना होगा जिससे वे पढ़ाई पूरी करने के बाद, ग्रामीण स्तर पर ही आत्म निर्भर बन सके।
उन्होंने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे तीन दिनों तक ग्रुप बना कर गांवो का सर्वे कर वहॉ की समस्या को जाने ओर उसे दूर करने का सम्बंधित विभाग से प्रयास करें। संस्थापक मनीषी जनुभाई ने वंचित एवं सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के अंतिम छोर तक शिक्षा की अलख लगाने के उद्देश्य से 1937 में विद्यापीठ की स्थापना की और पांच कार्यकर्ता एवं लालटेन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रिकालीन पाठशाला शुरू कर शिक्षा दीक्षा का कार्य किया।
प्रो. सारंगदेवोत ने कहा वन शिविर में विद्यार्थी समूह के रूप में मंडवा, सांणेश्वर, सिरोही के आसपास के गांवों में आधुनिक दौर में आर्थिक, सामाजिक में आये बदलाव के साथ साथ सामाजिक, आर्थिक बदलाव, उनके कारणों, सफाई, स्वास्थ शिक्षा आदि का स्तर जानेगे। ग्रामीणों को राज्य व केन्द्र सरकार की ओर से जारी की गई योजनाओं का लाभ उन तक कैसे पहुंच सके आदि की जानकारी दी जायेगी। गांवों में शाम को लगने वाली चौपालों में स्वच्छ भारत - स्वस्थ भारत, शिक्षा का अधिकार, बेटी बचाओं - बेटी पढ़ाओं, जननी सुरक्षा, जल स्वावलम्बन, पर्यावरण संरक्षण आदि की जानकारी नुक्कड नाटकों के माध्यम से दी जायेगी।
इस अवसर पर डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अनिता कोठारी, डॉ. कैलाश चौधरी, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. हिम्मत सिंह, डॉ. हरीश चौबीसा, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. इंदू आचार्य, डा. सुभाष पुरोहित, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. रेणू हिंगड, डॉ. हेमलता जैन, डॉ. शीतल चुग, डॉ. रोमा भंसाली, महेन्द्र वर्मा, डॉ. तिलकेश आमेटा सहित छात्र छात्राए उपस्थित थे।