उदयपुर, महाराणा प्रताप सम्मान कोष, सजीव सेवा समिति तथा विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में 25वें मेवाड़ गौरव अलंकरण सम्मान समारोह का आयोजन महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर विज्ञान समिति के सभागार में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर संस्था की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप डॉ. नारायण लाल कछारा को ‘महाराणा प्रताप सम्मान’ से विभूषित किया गया। उन्हें यह सम्मान विज्ञान, दर्शन, लेखन और समाजसेवा जैसे विविध क्षेत्रों में उनके उल्लेखनीय योगदान हेतु प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें माला, शॉल, श्रीफल, प्रशस्ति पट्ट और मानधन भेंट किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि कर्नल इंजीनियर अभय लोढ़ा ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व स्वाभिमान, चरित्र, रणकौशल और सबको साथ लेकर चलने की भावना से परिपूर्ण था। उन्होंने कहा कि आज के समय में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सफलताएं भी इन्हीं चार स्तंभों पर आधारित दिखाई देती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. के.एल. कोठारी, सजीव सेवा समिति के मुख्य संरक्षक, ने महाराणा प्रताप के शौर्य और संघर्ष पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता के रूप में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने महाराणा प्रताप के जीवन को शोधपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते हुए उन्हें भारतीय आत्मा का प्रतीक बताया। समाजसेवी शब्बीर के. मुस्तफा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सभा को संबोधित किया।
समारोह की शुरुआत में सजीव सेवा समिति के संस्थापक महासचिव शांतिलाल भंडारी ने संस्था की गतिविधियों और 15 वर्षों तक संचालित हल्दीघाटी पर्यावरण चेतना यात्रा की उपलब्धियों की जानकारी दी। कार्यक्रम में डॉ. एल.एल. धाकड़ ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि प्रकाश तातेड़ ने संयोजन एवं संचालन का दायित्व निभाया। इस अवसर पर विज्ञान समिति के अध्यक्ष डॉ. महीप भटनागर, राजेन्द्र खोखावत और डॉ. आर.के. गर्ग ने भी अपने विचार साझा किए।
समारोह न केवल एक सम्मान प्रदान करने का अवसर बना, बल्कि यह महाराणा प्रताप के मूल्यों और उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेने की एक प्रेरक सभा के रूप में भी स्थापित हुआ।