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झाड़ोल फलासिया की महिला कृषकों ने सीखी बांधनी एवं ब्लॉक प्रिंटिंग कला:आय संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

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26 Nov 25
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झाड़ोल फलासिया की महिला कृषकों ने सीखी बांधनी एवं ब्लॉक प्रिंटिंग कला:आय संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना, केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान भुवनेश्वर तथा राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना,राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 25 और 26 नवंबर को अनुसंधान निदेशालय स्थित एससी-एसपी सभागार में दो दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।इस प्रशिक्षण में दक्षिणी राजस्थान के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी लगभग 50 महिला कृषकों ने भाग लिया। आय बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रतिभागी महिलाओं ने उत्साहपूर्वक राजस्थान की पारंपरिक बांधनी कला और ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीकें सीखीं।

कार्यक्रम की समन्वयक एवं परियोजना प्रभारी डॉ. विशाखा बंसल ने बताया कि इससे पूर्व भी संस्थान की ओर से मुर्गी पालन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन और वर्मी कम्पोस्ट निर्माण जैसे कई प्रशिक्षण सफलतापूर्वक कराए जा चुके हैं, जिनमें प्रत्येक प्रशिक्षण में 60 से 65 महिलाएँ सक्रिय रूप से शामिल हुईं।डॉ. बंसल ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली 15 से 20 महिलाओं को उनके उत्पादों के विपणन के लिए स्थानीय कारखानों से जोड़ा गया है, जिससे उन्हें निरंतर आय वृद्धि का अवसर प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से महिलाएँ आर्थिक रूप से सक्षम बनेंगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त कदम बढ़ा सकेंगी।एक अनूठी पहल प्रशिक्षण के दौरान की गई जिसके अंतर्गत श्रीमती अंजुम आरा की संस्था नेशनल हैंडप्रिंट एवं टाई डाई वर्क्स ने महिलाओं को बाँधनी के तीन दुपट्टे व दो सूट का आर्डर दिया जिसे महिलाओं ने प्रशिक्षण के दौरान ही सीखते सीखते पूरा करके दे दिया |

दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान लगभग 50 महिलाओं ने स्वयं अपने लिए बांधनी हेतु धागों को बांधने की विधि सीखी। इसके बाद प्रतिभागियों को दो से तीन प्रकार के रंगों में कपड़े को रंगने की तकनीक सिखाई गई। कार्यक्रम में सभी महिलाओं को विभिन्न डिज़ाइनों की ब्लॉक प्रिंटिंग के माध्यम से रुमाल तैयार करना भी सिखा।

प्रशिक्षण सत्र का मार्गदर्शन श्री याकूब मुल्तानी तथा अंजुम आरा,मास्टर ट्रेनर एवं राजस्थान सरकार द्वारा शिल्प सम्मान से पुरस्कृत ने किया।कार्यक्रम के सफल संचालन में डॉ. कुसुम शर्मा (YP), विकास कुमार परमार (SRF) और सुजल डामोर (फील्ड असिस्टेंट) का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।


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