उदयपुर : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती रितु चौधरी ने शनिवार को उदयपुर स्थित आरटीडीसी कजरी होटल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि बारह वर्षों तक चले नेशनल हेराल्ड मामले का अंत मोदी सरकार की बेशर्मी भरी राजनीति की करारी हार है। यह फैसला साबित करता है कि मोदी–शाह की झूठ और बदले की राजनीति कमजोर पड़ चुकी है, जबकि सच आज भी जीवित है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसियों का खुला राजनीतिक दुरुपयोग किया।
राजनीतिक बदले की साजिश उजागर
श्रीमती चौधरी ने कहा कि श्रीमती सोनिया गांधी, श्री राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को हथियार बनाया गया। माननीय न्यायालय द्वारा इस मामले को खारिज किया जाना इस बात का प्रमाण है कि यह केस कानून पर नहीं, बल्कि निजी राजनीतिक नफरत पर आधारित था।
उन्होंने कहा कि:
CBI ने 2014 और 2015 में अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए FIR दर्ज करने से इनकार किया था।
ED ने भी 2014–15 में कोई मनी लॉन्ड्रिंग जांच नहीं की।
इसके बावजूद, 2021 में अचानक FIR दर्ज कर सात वर्षों की कानूनी सहमति पलटी गई, जो राजनीतिक बदले का स्पष्ट उदाहरण है।
कोर्ट ने साफ कहा कि PMLA के तहत बिना मूल अपराध के कोई जांच नहीं हो सकती, और डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी अधिकृत शिकायतकर्ता नहीं थे।
न्यायालय ने शिकायत को पूरी तरह आधारहीन बताते हुए संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।
ED बनी BJP की डराने वाली एजेंसी
रितु चौधरी ने कहा कि राहुल गांधी से लगातार 50 घंटे तक की पूछताछ सिर्फ मीडिया ट्रायल और राजनीतिक बदनाम करने की साजिश थी। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी न झुकी है, न झुकेगी। यह फैसला देश को दिखाता है कि BJP असहमति बर्दाश्त नहीं कर सकती और संस्थाओं का दुरुपयोग करती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र, संविधान और संस्थानों को BJP के चंगुल से मुक्त कराने की लड़ाई बिना रुके जारी रखेगी।
मनरेगा पर हमला: गरीबों से काम का अधिकार छीना जा रहा है
श्रीमती चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार ने तथाकथित “सुधारों” के नाम पर दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को कमजोर कर दिया है। यह महात्मा गांधी के विचारों और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले काम के अधिकार पर सीधा हमला है।
उन्होंने आरोप लगाया कि:
पिछले 11 वर्षों में बजट कटौती, भुगतान में देरी, जॉब कार्ड हटाने और आधार-आधारित भुगतान के जरिए करोड़ों मजदूरों को बाहर किया गया।
औसतन काम के दिन घटकर 50–55 दिन रह गए हैं।
केंद्र सरकार अब राज्यों पर ₹50,000 करोड़ से अधिक का वित्तीय बोझ डालना चाहती है, जो संघीय ढांचे पर हमला है।
रोजगार को अधिकार से बदलकर केंद्र-नियंत्रित, शर्तों वाली स्कीम बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नया ढांचा गरीबों के लिए विकास नहीं, बल्कि राज्य द्वारा नियंत्रित श्रम व्यवस्था है, जिससे मजदूरों को निजी क्षेत्र की सस्ती मजदूरी की ओर धकेला जाएगा।
सड़क से संसद तक संघर्ष
अंत में रितु चौधरी ने दो टूक कहा कि कांग्रेस पार्टी इस जन-विरोधी, श्रमिक-विरोधी और संघीय-विरोधी हमले के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष जारी रखेगी।
“सच की जीत हुई है और सच की जीत होती रहेगी।”
इस अवसर पर उदयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष फतेह सिंह राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता पंकज कुमार शर्मा, अरुण टांक, संजीव राजपुरोहित, पंकज पालीवाल, फिरोज अहमद शेख, सुभाष चित्तौड़ा सहित कांग्रेस के कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।