उदयपुर : कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (KMAMC/ कोटक म्यूचुअल फंड) ने आज अपना मार्केट आउटलुक 2026 जारी किया। इस रिपोर्ट में आने वाले साल में भारत की आर्थिक स्थिति और उन अहम निवेश थीम पर विस्तार से जानकारी दी गई है, जो वित्तीय बाजारों को प्रभावित कर सकती हैं। रिपोर्ट में शेयर बाजार, फिक्स्ड इनकम और थीमेटिक सेक्टर्स में मौजूद अवसरों की बात की गई है, साथ ही वैश्विक व घरेलू ट्रेंड को समझने पर जोर दिया गया है, जिन पर निवेशकों को नजर रखनी चाहिए।
कोटक महिंद्रा एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर निलेश शाह ने कहा कि, “वित्त वर्ष 2026 में इक्विटी से मिलने वाला रिटर्न कंपनियों की कमाई में बढ़ोतरी पर निर्भर रहेगा। उम्मीद है कि भारतीय कंपनियां वित्त वर्ष 2027 में डबल डिजिट की मजबूत अर्निंग दिखाएंगी। इसी मजबूती के कारण विदेशी निवेशक भारत में निवेश बढ़ा सकते हैं, जिससे बाजार में लिक्विडिटी (तरलता) बनी रहेगी।”
उनका कहना है कि, “मिड कैप शेयरों के लार्ज कैप और स्मॉल कैप शेयरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना है, हालांकि यह बढ़त बहुत ज्यादा नहीं हो सकती। सोने और चांदी में भी बढ़त की संभावना है, क्योंकि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक इनकी खरीद जारी रखे हुए हैं। निवेशकों को सलाह है कि वे अपने रिटर्न की उम्मीदें थोड़ी संयमित रखें और बाजार में बदलावों से निपटने के लिए एक संतुलित और डाइवर्सिफाइड निवेश रणनीति अपनाएं।”
2026 के लिए प्रमुख इक्विटी निवेश थीम
1. फाइनेंशियल सर्विसेज – ग्रोथ और मुनाफे में सुधार :
कर्ज (लोन) देने की गति फिर से बढ़ने लगी है, जिससे पता चलता है कि बैंक और वित्तीय संस्थान फिर से सक्रिय रूप से लोन दे रहे हैं। इसका असर क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो में दिखाई देता है, जो अब बढ़ रहा है। मजबूत फंडामेंटल और बेहतर कैपिटल एडेक्वेसी (पूंजी की मजबूती) के कारण कर्ज की बढ़त हेल्दी लेवल पर है। सेक्टर के रिटर्न रेश्यो भी अच्छे हैं, इसलिए यह लंबे समय के निवेशकों के लिए आकर्षक बन रहा है। इसके अलावा, कर्ज और डिपॉजिट की बढ़त के बीच का अंतर कम होने से बैंकों के मार्जिन पर दबाव भी कम हो सकता है और मुनाफा बेहतर रह सकता है।
2. कंजम्पशन (खपत) साइकिल – गति पकड़ रहा है :
देश में खपत तेजी से बढ़ने की दिशा में है। इसके पीछे कई कारण हैं- जैसे लोगों की आय का बढ़ना, GST में सुधार और त्योहारों के दौरान बढ़ी हुई मांग. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय 2000 डॉलर से ऊपर पहुंच गई है, जो एक महत्वपूर्ण स्तर माना जाता है और इससे आमतौर पर लोगों का वैकल्पिक खर्च बढ़ता है। जिससे ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर में मांग बढ़ती है। भारत टू-व्हीलर और यात्री वाहनों के मामले में दुनिया के सबसे कम पहुंच वाले बाजारों में से एक है। इसलिए, बढ़ती जरूरतें, GST में राहत, महंगाई घटने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रिकवरी जैसे फैक्टर्स के चलते वाहनों की मांग बढ़ेगी। मंथली सेल्स के आंकड़े भी दिखा रहे हैं कि खपत में तेजी आ रही है, और बाजार धीरे-धीरे अधिक खर्च और प्रीमियम उत्पादों की ओर बढ़ रहा है।
3. ई-कॉमर्स – डिजिटल तेजी :
भारत का ई-कॉमर्स बाजार अभी भी कम विकसित है, इसलिए यहां बहुत तेज ग्रोथ की संभावना है। जैसे-जैसे लोग ऑनलाइन खरीदारी अधिक अपनाते जा रहे हैं, ई-कॉमर्स की पहुंच बढ़कर FY30 तक लगभग 12–13% तक पहुंच सकती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और ब्यूटी/पर्सनल केयर जैसी कैटेगरी सबसे तेज बढ़ने की उम्मीद है। बाजार में मुख्य तौर पर 3 बड़ी कंपनियां लगभग 80 फीसदी हिस्सेदारी रखती हैं, जिससे यह क्षेत्र संगठित रिटेल और प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ और अधिक लाभदायक बन सकता है।
4. हेल्थकेयर में अवसर :
जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या बढ़ने के कारण, और लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से भारत में स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ रहा है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी बुजुर्ग आबादी में से एक है, और अगले 25 साल में यह संख्या दोगुनी होने की उम्मीद है। यह बदलाव स्वास्थ्य सेवाओं की मांग को तेजी से बढ़ाएगा और हेल्थकेयर सेक्टर में बड़े अवसर पैदा करेगा।
फिक्स्ड इनकम आउटलुक :
बदलती बाजार परिस्थितियों के बीच, फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में स्थिरता लाने और जोखिम कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत का ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट इंडेक्स में शामिल होने का मौका भी अब और मजबूत हो गया है। इसका औपचारिक फैसला जनवरी 2026 में आने की उम्मीद है, और इससे लगभग 25 अरब डॉलर तक का विदेशी निवेश आ सकता है।