उदयपुर, । शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और मूल्यपरक जीवन का आधार है। शिक्षा हमें न केवल अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय विकास का पथ भी प्रशस्त करती है। उक्त विचार बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से आयोजित समारोह में एनसीटीई नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए।
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प्रो. अरोड़ा ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से समाज से जुड़कर उसे समझना और उसी समझ के आधार पर शोध व व्यवसाय का चयन करना ही स्व-विकास के साथ राष्ट्र उन्नति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमें सामुदायिक सरोकारों से जोड़ती है तथा मानव मूल्यों की दिशा में अग्रसर करती है। उन्होंने विद्यापीठ के समाजोन्मुखी दृष्टिकोण और शिक्षा के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता की सराहना की।
समारोह से पूर्व प्रो. अरोड़ा ने एग्रीकल्चर महाविद्यालय का अवलोकन किया और संस्थान द्वारा वंचितवर्ग के लिए किए जा रहे कार्यो की सराहना की।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. शिवसिंह सांरगदेवोत ने कहा कि संस्था समग्र विकास, समाज की उन्नति और राष्ट्र निर्माण के लिए निरंतर कार्यरत है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक सेवा, कौशल विकास और समाज के प्रति सरोकार ही हमारे संस्थान का मूल मंत्र हैं। उन्होंने विद्यार्थियों व शिक्षकों के समर्पण, निष्ठा और नवाचार के माध्यम से सफलता के नए आयाम स्थापित करने का आह्वान किया।
समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रो. पंकज अरोड़ा का संस्थान की ओर से माला, उपरणा , स्मृति चिन्ह व अभिनंदन पत्र भेट कर सम्मान किया गया।
इसी अवसर पर डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अनीता कोठारी द्वारा सहलेखित पुस्तक “समसामयिक भारत और शिक्षा” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।
इस मौके पर डीन प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. मुकुंद झा, निर्मल अरोड़ा, डाॅ. बलिदान जैन, डॉ. रचना राठौड, डॉ. अमी राठौर, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. सुनीता मुंडिया सहित अकादमिक एवं गैर अकादमिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
संचालन डॉ. हरीश चैबीसा ने किया जबकि आभार अधिष्ठाता प्रो. सरोज गर्ग ने जताया।