Udaipur . आजकल की बदलती जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण तमाम तरह की बीमारियां होती हैं परंतु यदि पोषण युक्त आहार की कमी और व्यायाम की कमी हो तो आगे चलकर गठिया या अर्थराइटिस जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। यह समस्या आजकल लोगों में बढ़ती जा रही हैं, आजकल बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं में भी अर्थराइटिस के कारण दर्द बना रहता है, अर्थराइटिस में घुटनों और कूल्हों की हड्डियों पर अधिक प्रभाव पड़ता है, जहां पर दर्द के कारण लोग परेशान रहते हैं और इसी कारण अपने पैर को हिला तक नहीं पाते।
पारस हेल्थ, उदयपुर के डॉ. आशीष सिंघल, सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक, ने बताया कि अर्थराइटिस कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से सबसे आम रूप ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड अर्थराइटिस है, इसके अलावा सोराइटिक अर्थराइटिस, एनकायलाजिंग स्पोंडिलाइटिस, पोलिमायलगिया रूमेटिका, रिएक्टिव अर्थराइटिस, गाउट या गांठ, सिडडोगाउट, सिस्टेमिक लयूपस अर्थिमेटोसस, जिन्हें समझना बहुत आवश्यक है। इससे बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपना इलाज करवाना शुरू कर दें। इसके लक्षणों पर ध्यान रखें, यदि आपको घुटनों में दर्द हो रहा है, दर्द के कारण सूजन है, शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द है और यह दर्द लगातार बना रहता है, आपका वजन भी कम हो रहा है, भूख कम लग रही है, हमेशा थकान महसूस होती है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर जोड़ों के हड्डियों को लचीला बनाने के लिए कुछ व्यायाम बताते हैं, आपके आहार में कुछ बदलाव करने के लिए कहते हैं, जिससे इसकी स्थिति को गंभीर बनने से रोका जा सकता है यदि फिर भी कोई असर नहीं हो रहा तब सर्जरी के माध्यम से भी इसे ठीक किया जाता है।