उपनगर सांगानेर के प्रसिद्ध प्राचीन धर्मस्थल खाखरा वाला देवता स्थल पर तीन दिवसीय नानी बाई को मायरो कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। कथा के प्रथम दिवस पर गोवत्स राधा कृष्ण जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भारतीय सेना के शौर्य की सराहना की और एयर स्ट्राइक पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि सेना का मनोबल बढ़ाना हर भारतीय का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग सेना के कदमों पर प्रश्न उठाते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें सेना के साथ एकजुट होकर खड़ा रहना चाहिए। महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं से मायड़ भाषा में संवाद करते हुए कहा कि हम सबका दायित्व है कि हम सेना के साहस और बलिदान का सम्मान करें। उन्होंने मेवाड़ की वीर भूमि महाराणा प्रताप की गौरवगाथा को स्मरण करते हुए कहा कि यह वह धरती है जिसने कभी भी केसरिया ध्वज को झुकने नहीं दिया।
कथा का शुभारंभ वैदिक मंत्रों और मायड़ भाषा के भजनों के मधुर स्वर के साथ किया गया, जिसमें श्रद्धालु भजनों की धुन पर झूमते नज़र आए। महाराज ने समाज में बढ़ती कुरीतियों और युवाओं के भटकाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को नशे से दूर रहने और जीवन में सकारात्मक दिशा अपनाने का आह्वान किया।
भारतीय संस्कृति और परंपरागत परिधानों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए महाराज ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं, जबकि धोती जैसे परिधान हमारी संस्कृति की पहचान हैं।
उन्होंने महिलाओं की शक्ति और सशक्तिकरण पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नारी के गुणों को युगों-युगों तक याद रखा जाता है।
कथा से पूर्व व्यासपीठ पर विराजने से पहले पुजारी श्यामलाल और सिद्धबली हनुमान आश्रम के महंत जागेश्वर दास जी महाराज द्वारा पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर पंचकुंडीय महारुद्र यज्ञ का आयोजन आचार्य धर्मेश व्यास के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ, जिसमें यजमानों का सम्मान राधा कृष्ण जी महाराज द्वारा दुपट्टा ओढ़ाकर किया गया।