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सिनेमा से प्यार है तो जरूर देखिए 'जोरम'

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11 Dec 23
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प्रस्तुति : काली दास पाण्डे

सिनेमा से प्यार है तो जरूर देखिए 'जोरम'

  देवाशीष मखीजा द्वारा निर्देशित मनोज वाजपेयी स्टारर फिल्म 'जोरम' रिलीज हो गई है। जल जंगल जमीन की समस्याओं के प्रति सजग करती यह मार्मिक फिल्म सिनेदर्शकों को यह भी सोचने पर मजबूर कर देगी कि हम विकास और प्रगति के नाम पर प्रकृति के साथ क्या कर रहे हैं।

इंसान ने पर्यावरण का जो नुकसान किया है ये उसकी की बात करती है। ये नक्सलवाद की भी बात करती है। फिल्म में झारखंड़ की राजनीति की भी बात है। झारखंड की लोकल सिचुएशन को भी अच्छे से समझाती है। ये फिल्म आपको झकझोर देती है। जब दसरू ट्रेन के डिब्बे में जोरम को लेकर छिपा होता है और बाहर से लोग दरवाजा तोड़ रहे होते हैं तो दसरू के चेहरे पर जो दर्द दिखता है उसके आंसू सिनेदर्शक भी महसूस करते हैं। जोरम एक गंभीर कहानी है जो लंबे समय तक दर्शकों के साथ रहेगी। इस फिल्म में अपने अंधेरे अतीत और अंधकारमय वर्तमान से भागते असहाय और अभागे पिता दसरू की भूमिका में मनोज बाजपेयी बेहतरीन हैं। अपने बच्चे के साथ बिताए क्षण और उसकी देखभाल करने के दृश्य आपके दिल को छू जाएंगे।

निर्दयी विधायक के रूप में स्मिता तांबे द्विवेदी ने समां बांध दिया। वह भावनात्मक रूप से घायल लेकिन इसके विपरीत संवेदनाहीन महिला के रूप में सूक्ष्म प्रदर्शन करती है। मोहम्मद जीशान अय्यूब भी उत्कृष्ट हैं, उन्होंने एक विवादित सब-इंस्पेक्टर रत्नाकर बंगुल की भूमिका निभाई है, जिन्हें दसरू को पकड़ने का काम सौंपा गया था। विशेष भूमिका में तनिष्ठा चटर्जी ने अपना किरदार बखूबी निभाया है। मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती जोरम की हृदय स्पर्शी कहानी और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए इसे एक बार अवश्य देखा जाना चाहिए। 


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