उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर लाखों रुपये की लागत से विश्वविद्यालय परिसर में इलेक्ट्रिक रिक्शों की शुरुआत की गई थी, लेकिन आज वे सभी रिक्शे सभागार के पीछे कचरे में फेंके हुए हैं। यह न केवल सरकारी पैसों का घोर दुरुपयोग है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी गंभीर उदाहरण है।
विश्वविद्यालय द्वारा इन रिक्शों को प्रारंभ में पर्यावरण हितैषी कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया था। इसकी फोटो खींचकर उच्च स्तर पर प्रचारित किया गया कि परिसर अब प्रदूषण मुक्त हो गया है। लेकिन हकीकत में यह योजना कुछ समय बाद ही ठंडे बस्ते में चली गई और अब सारी गाड़ियां खस्ताहाल स्थिति में धूल खा रही हैं।
स्थानीय विद्यार्थियों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है और मांग की है कि इन रिक्शों को पुनः मरम्मत कराकर परिसर में चालू किया जाए, जिससे परिसर को स्वच्छ और धुआं मुक्त बनाया जा सके। साथ ही जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
जनता का कहना है कि यदि सरकार द्वारा दी गई राशि का इस प्रकार से दुरुपयोग होता रहेगा तो भविष्य में ऐसी किसी भी योजना पर विश्वास करना कठिन हो जाएगा। आवश्यक है कि विश्वविद्यालय प्रशासन पारदर्शिता के साथ जवाबदेही तय करे और पर्यावरण सुरक्षा के इस प्रयास को फिर से सार्थक दिशा में आगे बढ़ाए।