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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का भीड़भरी ट्रेन में अचानक सफर करना सभी के मन को भाया

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24 Oct 25
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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का भीड़भरी ट्रेन में अचानक सफर करना सभी के मन को भाया

गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का भीड़भरी ट्रेन में अचानक सफर करना महज एक प्रतीकात्मक कदम नहीं था, बल्कि यह उस नई प्रशासनिक सोच का प्रतीक था जिसमें जनता के बीच जाकर, जमीनी सच्चाई समझकर नीति बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। छठ पर्व के अवसर पर रेलवे ने इस बार अभूतपूर्व इंतजाम किए—अतिरिक्त ट्रेनें, बेहतर प्रबंधन और डिजिटल निगरानी ने यात्रियों का भरोसा बढ़ाया।

अश्विनी वैष्णव ने अपने व्यवहार और नेतृत्व से यह दिखा दिया कि जनता के साथ खड़ा होना ही असली सेवा है।

 

छठ पर्व, भारतीय जनजीवन का वह पवित्र पर्व है जिसमें आस्था, अनुशासन और त्याग का अनूठा संगम देखने को मिलता है। विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे क्षेत्रों में इस पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व अपार है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु अपने घरों की ओर प्रस्थान करते हैं ताकि ‘डूबते और उगते सूर्य’ को अर्घ्य देकर मातृभूमि और परिवार के संग यह पर्व मना सकें। ऐसे में हर वर्ष की तरह इस बार भी रेलवे के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। भीड़ का प्रबंधन और यात्रियों की सुरक्षित, सुचारू यात्रा सुनिश्चित करना।लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ।

 

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव स्वयं भीड़ भरी ट्रेन में सवार हुए और अचानक यात्रियों के बीच पहुंच गए। उनके इस अप्रत्याशित कदम ने यात्रियों को अचरज में डाल दिया। साधारण वेशभूषा में मंत्रीजी को ट्रेन के कोच में देखकर यात्री पहले तो पहचान ही नहीं पाए, पर जब उन्हें पता चला कि देश के रेल मंत्री खुद ट्रेन में सफर कर रहे हैं, तो उत्साह और विश्वास दोनों की लहर दौड़ गई।यह घटना दरअसल दिल्ली से पटना जा रही एक विशेष छठ स्पेशल ट्रेन की है। भीड़ इतनी अधिक थी कि कई यात्रियों को खड़े होकर या दरवाजे के पास बैठकर यात्रा करनी पड़ रही थी। इसी बीच अश्विनी वैष्णव बिना किसी औपचारिकता या सुरक्षा घेरे के सामान्य यात्रियों की तरह ट्रेन में सवार हो गए। उन्होंने यात्रियों से बातचीत की—किसी से पूछा कि टिकट मिलना कितना कठिन था, किसी से पूछा कि कोच की साफ-सफाई कैसी है, और किसी से पूछा कि पानी, शौचालय तथा पंखों की स्थिति कैसी है। उनके साथ न कोई अधिकारी दल था, न मीडिया का तामझाम। बस एक आम यात्री की तरह उन्होंने सफर किया और वास्तविक स्थिति का जायजा लिया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यात्रियों ने कहा कि *रेल मंत्री को खुद हमारे बीच देखकर हमें भरोसा हुआ कि सरकार हमारी परेशानी को सच में समझती है।*ट्रेन यात्रा के दौरान मंत्री वैष्णव ने यात्रियों की कई शिकायतें तुरंत अधिकारियों तक पहुंचाईं। कुछ यात्रियों ने बताया कि टिकट के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची थी, जिस पर मंत्री ने कहा कि “हम अगले साल से अग्रिम योजना के तहत और ज्यादा ट्रेनें बढ़ाएंगे।”

 

उन्होंने यात्रियों को आश्वस्त किया कि रेलवे की प्राथमिकता सिर्फ गति नहीं, बल्कि आराम और सुरक्षा भी है। कुछ यात्रियों ने सफाई व्यवस्था की सराहना की, तो कुछ ने कोच की भीड़ पर चिंता जताई। मंत्री ने वहीं फोन पर निर्देश दिए कि अगले स्टॉप पर अतिरिक्त गार्ड और सफाईकर्मी तैनात किए जाएं।

रेल मंत्री के ट्रेन में सफर करने की तस्वीरें और वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर आए, देशभर में प्रशंसा की लहर दौड़ गई। ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों ने कहा—

 

 *ऐसे मंत्री अगर हर विभाग में हों तो जनता की तकलीफें आधी हो जाएं।**छठ पर्व पर रेल मंत्री का जमीनी निरीक्षण—यह सच्चा लोकसेवा भाव है।*

 

छठ महापर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि लाखों परिवारों के मिलन का पर्व है। यह वही समय है जब प्रवासी मजदूर, कर्मचारी और विद्यार्थी अपने घर लौटते हैं। ऐसे में रेलवे ही वह जीवनरेखा है जो इन भावनाओं को जोड़ती है।

अश्विनी वैष्णव ने इस बात को समझते हुए कहा—

*छठ पूजा में ट्रेनें सिर्फ यात्रियों को नहीं, बल्कि आस्था को लेकर चलती हैं। हमें इन यात्राओं को सुविधाजनक और सम्मानजनक बनाना है।*

उनकी इस सोच का असर इस वर्ष स्पष्ट दिखा—कई स्टेशनों पर सफाई, रोशनी, व्यवस्था और सहयोग में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला।

इसीलिए आज लोग कह रहे हैं*रेल की पटरियों पर दौड़ती गाड़ियां अब सिर्फ इंजन से नहीं, बल्कि जनभावना से भी चल रही हैं।*

 

अश्विनी वैष्णव अपने व्यावहारिक और तकनीकी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे स्वयं एक आईएएस अधिकारी और इंजीनियर रहे हैं, इसलिए उन्हें सिस्टम की जमीनी वास्तविकता का ज्ञान है। छठ पर्व के दौरान उन्होंने रेलवे के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि “यात्रियों के लिए यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भावनाओं की यात्रा है।”रेल मंत्री की प्राथमिकता है - अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनें चलाना ताकि भीड़ का दबाव कम हो सके। प्लेटफार्मों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना।सफाई और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना।टिकट बुकिंग सिस्टम को पारदर्शी और प्रभावी बनाना।रीयल टाइम मॉनिटरिंग के जरिए हर प्रमुख स्टेशन की स्थिति की जानकारी रखना।

 

 

छठ पर रेलवे के इंतजाम

 

रेल मंत्रालय ने इस वर्ष छठ पर्व को लेकर विशेष रणनीति बनाई है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के बीच कुल 350 से अधिक छठ स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं है। इनमें से अधिकांश ट्रेनें दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, अमृतसर और लुधियाना जैसे प्रवासी केंद्रों से पटना, दरभंगा, समस्तीपुर, भागलपुर, सहरसा, मुजफ्फरपुर और गया की ओर भेजी गईं। इन ट्रेनों में अतिरिक्त कोच, विशेष रूप से स्लीपर और जनरल क्लास, लगाए गए। कई स्टेशनों पर अस्थायी टिकट काउंटर और मदद केंद्र (हेल्प डेस्क) बनाए गए। रेलवे पुलिस (आर पी एफ) और राज्य पुलिस को संयुक्त रूप से तैनात किया गया ताकि भीड़ नियंत्रित रहे और यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

रेलवे ने *मिशन सुरक्षित यात्रा*अभियान भी चलाया जिसके तहत हर प्लेटफार्म पर लगातार एनाउंसमेंट होते रहे, डिजिटल स्क्रीन पर ट्रेन की जानकारी प्रदर्शित की जाती रही और हेल्पलाइन नंबर सक्रिय रखे गए।

रेल मंत्री के नेतृत्व में रेलवे ने डिजिटल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग शुरू किया, जिससे हर विशेष ट्रेन की रीयल टाइम लोकेशन, समय और कोच स्थिति मॉनिटर की जा सके। दिल्ली, पटना और प्रयागराज के कंट्रोल रूम में अधिकारी लगातार इस डेटा पर नजर रखते रहे।

इसके साथ ही आई आर सी टी सी  ऐप और वेबसाइट पर *छठ स्पेशल अलर्ट* फीचर जोड़ा गया, ताकि यात्रियों को उनकी ट्रेन की स्थिति की तुरंत जानकारी मिल सके।रेल मंत्री ने आदेश दिया है कि किसी भी स्टेशन पर यात्रियों को कम से कम पीने का पानी, स्वच्छ शौचालय और रोशनी जैसी बुनियादी सुविधाओं में कोई कमी न हो।


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